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उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश एन. वी. रमना ने जजों पर बढ़ते हमलों को न्यायपालिका के लिए गंभीर चिंता का विषय बताया । - Separato Spot Witness Times
राष्ट्रीय समाचार

उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश एन. वी. रमना ने जजों पर बढ़ते हमलों को न्यायपालिका के लिए गंभीर चिंता का विषय बताया ।

देहरादून 27 नवंबर 2021,

दिल्ली: विज्ञान भवन में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश एन. वी. रमना ने जजों पर हो रहे हमलों पर कहा, ‘ये हमले प्रायोजित और समकालिक प्रतीत होते हैं। कानून लागू करने वाली एजेंसियों, विशेष रूप से केंद्रीय एजेंसियों को इस तरह के दुर्भावनापूर्ण हमलों से प्रभावी ढंग से निपटने की जरूरत है। सरकारों से एक सुरक्षित वातावरण बनाने की उम्मीद की जाती है, ताकि न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारी निडर होकर काम कर सकें।

मुख्य न्यायधीश एन. वी. रमना ने जजों पर बढ़ते हमलों को न्यायपालिका के लिए गंभीर चिंता का विषय बताया हैं।रमना ने कहा कि इनमें शारीरिक हमलों के साथ ही मीडिया, विशेष रूप से सोशल मीडिया द्वारा किए जाने वाले हमले भी शामिल हैं। सीजेआई ने कहा कि लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसियों को ऐसे दुर्भावनापूर्ण हमलों से प्रभावी ढंग से निपटने की जरूरत है ।

मुख्य न्यायधीश यह भी कहा कि तमाम भूमिकाओं में एक कानूनी पेशेवर के रूप में उनके अनुभव ने उन्हें ‘न्यायपालिका के भारतीयकरण’ का आह्वान करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने आगे कहा, ‘न्यायिक प्रणाली, जैसा कि आज हमारे देश में मौजूद है, अनिवार्य रूप से अभी भी औपनिवेशिक प्रकृति की है. इसमें सामाजिक वास्तविकताओं या स्थानीय परिस्थितियों का कोई हिसाब नहीं है.’ सीजेआई रमना ने कहा कि कुछ ऐसा हो कि लोगों को अदालतों का दरवाजा खटखटाने में आत्मविश्वास महसूस करना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब वादियों को सीधे भाग लेने का मौका मिलेगा, तभी प्रक्रिया और परिणाम में उनका विश्वास मजबूत होगा।

जनहित याचिकाओं पर, सीजेआई रमना ने कहा, ‘मुझे यकीन नहीं है कि दुनिया में कहीं और एक आम आदमी द्वारा लिखे गए एक साधारण पत्र को सर्वोच्च आदेश का न्यायिक ध्यान मिलता होगा। हां, कभी-कभी दुरुपयोग के कारण इसका ‘प्रचार हित याचिका’ कह कर मजाक उड़ाया जाता है. प्रेरित जनहित याचिकाओं को हतोत्साहित करने के लिए हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए. सीजेआी ने यह भी कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि सुप्रीम कोर्ट में वेकेंसी की संख्या अब घटकर मात्र एक रह गई है।

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