देहरादून 15 नवंबर 2021,
दिल्ली: राजधानी दिल्ली में फैले वायु प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक बार फिर केंद्र सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार को जमकर फटकार लगाई। सर्वोच्च न्यायालय ने जवाब मांगा है कि दोनों सरकारें उन उद्योगों, पावर प्लांट्स की जानकारी दें, जिन्हें वायु प्रदूषण रोकने के मकसद से कुछ समय के लिए बंद किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि, निर्माण कार्यों और गैरजरूरी परिवहन सेवा को रोकने के लिए आपात बैठक बुलाए। कोर्ट ने पंजाब, यूपी, हरियाणा के मुख्य सचिवों को कल आपात बैठक में शामिल रहने के निर्देश दिए गए हैं।
कोर्ट ने केंद्र और राज्य से कहा गया है कि वह दिल्ली-एनसीआर में कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम को लागू करने पर विचार करे।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली और पूर्वी राज्यों में प्रदूषण के लिए पराली जलाना मुख्य कारण नहीं है। पराली जलाने से केवल 10 फीसदी प्रदूषण होता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण के लिए परिवहन, उद्योगों, और ट्रैफिक व्यवस्था को प्रदूषण की मुख्य वजह माना है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा है कि क्या वह उद्योगों को रोकने के अलावा वाहनों पर लगाम लगा सकते हैं? सर्वोच्च न्यायालय ने उन पावर प्लांट्स की भी जानकारी मांगी है, जिन्हें रोका जा सकता है। बेंच ने जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को कल शाम तक का वक्त दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि, निर्माण कार्यों और गैरजरूरी परिवहन सेवा को रोकने के लिए आपात बैठक बुलाए। कोर्ट ने पंजाब, यूपी, हरियाणा के मुख्य सचिवों को कल आपात बैठक में शामिल रहने के निर्देश दिए गए हैं। इसी के साथ केंद्र और राज्य से कहा गया है कि वह दिल्ली-एनसीआर में कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम को लागू करने पर विचार करे।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे केंद्र और दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जिस तरह प्रदूषण पर बगैर एजेंडा के आपात बैठक हुई है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें उनके लिए एजेंडा सेट करना पड़ता है।