November 1, 2025

देशद्रोह कानून पर ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून के इस्तेमाल पर रोक लगाई।

देहरादून 11 मई 2022,

दिल्ली: देशद्रोह कानून पर ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि, जब तक केंद्र सरकार द्वारा देशद्रोह कानून की समीक्षा कार्रवाई पूरी नहीं हो जाती है, तब तक देशद्रोह का कोई भी मामला दर्ज नहीं करें।।

मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि जब तक केंद्र द्वारा देशद्रोह के प्रावधान की समीक्षा पूरी नहीं हो जाती, तब तक सरकारों को देशद्रोह के प्रावधान का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एक अंतरिम आदेश में कहा कि देशद्रोह के प्रावधान के तहत कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जानी चाहिए और पहले से ही जेल में बंद लोग राहत के लिए अदालतों में अपील दायर कर सकते हैं। केंद्र ने राज्य सरकारों को प्रस्ताव दिया कि केवल पुलिस अधीक्षक स्तर का अधिकारी ही देशद्रोह के प्रावधान से जुड़े मामलों को दर्ज कर सकता है।

केंद्र सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार का प्रस्ताव है कि पुलिस अधीक्षक या उससे ऊपर के स्तर के पुलिस अधिकारी द्वारा भविष्य में प्राथमिकी में देशद्रोह का आरोप दायर किया जाना चाहिए या नहीं, यह अभी तय करना है। उन्होंने कहा कि जैसे ही सरकार देशद्रोह कानून की समीक्षा करती है, देशद्रोह के लंबित मामलों की समीक्षा की जा सकती है, और अदालतें धारा 124 ए आईपीसी के तहत जमानत याचिका पर तेजी से फैसला कर सकती हैं।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि धारा 124 ए प्रथम दृष्टया असंवैधानिक है और शीर्ष अदालत को केंद्र द्वारा प्रावधान की समीक्षा होने तक देशद्रोह के प्रावधान के आवेदन पर रोक लगानी चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जहां तक लंबित मामलों का संबंध है, प्रत्येक मामले की गंभीरता अलग-अलग है। उन्होंने कहा, हमें अदालतों पर भरोसा करने की जरूरत है।

न्यायमूर्ति कांत ने सिब्बल से कहा, यह क्या तर्क है . क्या इसे आज खारिज किया जा सकता है? पीठ ने कहा कि वह केंद्र के प्रस्ताव के मद्देनजर एक निष्पक्ष प्राधिकारी के रूप में एक उत्तर की तलाश में है, और सिब्बल से पूछा कि इस बीच क्या व्यवस्था की जा सकती है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केन्द्र सरकार का पक्ष रखते हुए पीठ को अवगत कराया कि, भारत सरकार, राजद्रोह के विषय पर व्यक्त किए जा रहे विभिन्न विचारों से पूरी तरह परिचित होने के साथ-साथ नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की चिंताओं पर विचार कर रही है। इसके साथ ही राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने और उसकी रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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