October 31, 2025

संविधान दिवस के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान ई-कोर्ट परियोजना के तहत अनेक नई पहलों का शुभारंभ किया।

देहरादून 26 नवंबर 2022,

दिल्ली: संविधान दिवस के उपलक्ष्य में सर्वोच्च न्यायालय में आयोजित समारोह को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सम्बोधित किया। वर्ष 1949 में संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को अंगीकार किये जाने के उपलक्ष्य में 2015 से संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान ई-कोर्ट परियोजना के तहत अनेक नई पहलों का शुभारंभ किया, जिसमें वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, जस्टिस मोबाइल एप्प 2.0, डिजिटल कोर्ट और एस3वीएएएस वेबसाइट शामिल हैं।

संविधान दिवस पर बधाई देते हुये प्रधानमंत्री ने स्मरण किया कि 1949 में इसी दिन, स्वतंत्र भारत ने अपने नये भविष्य की आधारशिला रखी थी। प्रधानमंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में इस वर्ष संविधान दिवस मनाये जाने की महत्ता का भी उल्लेख किया। उन्होंने बाबासाहेब डॉ. बी.आर. अम्बेडकर और संविधान सभा के समस्त सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने पिछले 70 दशकों में विकास-यात्रा तथा भारतीय संविधान के विस्तार में विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका की अनेक हस्तियों के योगदानों को रेखांकित किया तथा इस विशेष अवसर पर पूरे राष्ट्र की तरफ से उन सबको धन्यवाद ज्ञापित किया।

प्रधानमंत्री ने उस 26 नवंबर को याद किया, जिसे भारत के इतिहास में काला दिवस के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उस दिन भारत पर इतिहास का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसे मानवता के दुश्मनों ने अंजाम दिया था। श्री मोदी ने कायरतापूर्ण मुम्बई आंतकी हमलों में अपने प्राण खो देने वाले सभी लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने स्मरण कराया कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारत की विकसित होती अर्थव्यवस्था और उसकी अंतर्राष्ट्रीय छवि के प्रकाश में पूरा विश्व उसे आशा के साथ देख रहा है। उन्होंने कहा कि अपनी स्थिरता के बारे में शुरूआती संशयों को दूर करते हुये भारत पूरी शक्ति से आगे बढ़ रहा है तथा अपनी विविधता पर उसे अत्यंत गर्व है। उन्होंने इस सफलता के लिये संविधान को श्रेय दिया। प्रधानमंत्री ने इस क्रम को आगे बढ़ाते हुये प्रस्तावना के पहले तीन शब्दों ‘वी द पीपुल’ का उल्लेख किया, और कहा, “‘वी द पीपुल’ एक आह्वान है, एक प्रतिज्ञा है, एक विश्वास है। संविधान की यह भावना, उस भारत की मूल भावना है, जो दुनिया में लोकतंत्र की जननी रहा है।” उन्होंने कहा, “आधुनिक युग में, संविधान ने राष्ट्र की समस्त सांस्कृतिक और नैतिक भावनाओं को अंगीकार कर लिया है।

गौरतलब है कि, डिजिटल कोर्ट की पहल के तहत न्यायाधीश के लिये अदालती दस्तावेजों को डिजिटल रूप में देखने की व्यवस्था है, जिससे पेपरलैस अदालतों की शुरूआत हुई है।

एस3डब्लूएएएस वेबसाइट एक प्रारूप है, जिसके तहत सम्बंधित जिला न्यायालय के मद्देनजर विशेष सूचना और सेवाओं के बारे में वेबासइट पर हर जानकारी मिलेगी। इसके तहत सूचनाओं-सेवाओं का सृजन, उन्हें दुरुस्त करने, उनकी जानकारी देने और उनके प्रबंधन से जुड़े काम किये जायेंगे। एस3डब्लूएएएस एक क्लाउड सेवा है, जिसे सरकारी निकायों के लिये विकसित किया गया है, ताकि वे सुरक्षित, सुगम्य वेबसाइटों को तैयार कर सकें। यह बहुभाषी, नागरिक-अनुकूल और दिव्यांग-अनुकूल है।

इस अवसर पर, भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़, केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय किशन कॉल और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर, केंद्रीय विधि और न्याय राज्यमंत्री प्रो. एस.पी. बघेल, भारत के अटॉर्नी जनरल श्री आर. वेंकटारमानी, भारत के सॉलीसिटर जनरल श्री तुषार मेहता तथा सुप्रीम कोर्ट बार एसोसियेशन के अध्यक्ष श्री विकास सिंह उपस्थित थे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright2017©Spot Witness Times. Designed by MTC, 9084358715. All rights reserved. | Newsphere by AF themes.