देहरादून 12 जुलाई 2022,
दिल्ली: जेल में बंद आपराधिक मामलों में आरोपितों की रिहाई को सरल बनाने और उन्हें जमानत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक नया कानून बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक अपराधिक मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बैंच ने निर्देश देते हुए कहा कि जांच एजेंसियां और उनके अधिकारी आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41-ए जिसमें आरोपित व्यक्ति को पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश होने का नोटिस जारी करना है, का पालन करने के लिए बाध्य हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाई कोर्टो से उन विचाराधीन कैदियों की जानकारी प्राप्त करने के लिए कहा है, जो आर्थिक कारणों से अथवा जटिल कानूनों के चलते,जमानत नहीं करवा पा रहे हैं। न्यायालय ने ऐसे कैदियों की रिहाई में मदद के लिए उचित कदम उठाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जमानत याचिका दो हफ्ते में निस्तारित तथा अग्रिम जमानत की याचिका छह हफ्ते में पूरी होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्टो और राज्यों व केंद्र-शासित प्रदेशों की सरकारों से चार महीने में इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा है।