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जीत का जज्बा रखना, हार से निराश न होना तथा हारने के बाद भी अगले पल जीतने की प्रेरणा का नाम ही ‘खेल’ है:केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह - Separato Spot Witness Times
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जीत का जज्बा रखना, हार से निराश न होना तथा हारने के बाद भी अगले पल जीतने की प्रेरणा का नाम ही ‘खेल’ है:केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह

उत्तराखंड , केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज हल्द्वानी, में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों के समापन समारोह में कहा कि भारत के खेलों का भविष्य उज्ज्वल है। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने ‘फिट इंडिया’ और ‘खेलो इंडिया’ जैसी पहलों से युवाओं को खेल के प्रति प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि जीत का जज्बा रखना, हार से निराश न होना तथा हारने के बाद भी अगले पल जीतने की प्रेरणा का नाम ही ‘खेल’ है। हमने देश के युवाओं में खेल भावना, खेल प्रेम और उनमें खेलने का हौसला मजबूत करने के लिए ढेर सारे कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि खेलों के प्रति मोदी जी का समर्पण ऐसा है कि खिलाड़ी उन्हें ‘खेल मित्र’ बुलाते हैं।

‌‌केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज हल्द्वानी, में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित किया। इस अवसर पर केन्द्रीय युवा कार्य एवं खेल मंत्री मनसुख मंडाविया, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा और केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा , भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष, पीटी ऊषा और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के हर जिले में खेल का इन्फ्रास्ट्रक्चर पहुँचाकर और 38वें राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने देवभूमि को खेलभूमि भी बनाया। उन्होंने कहा कि धामी जी के प्रयासों से देश के खेल नक़्शे पर देवभूमि 21वें स्थान से छलांग लगाकर अब 7वें स्थान पर पहुँच चुकी है। श्री शाह ने राष्ट्रीय खेलों में बड़ी संख्या में मेडल जीतने वाले उत्तराखंड के खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उन्होंने ही देवभूमि को खेल भूमि बनाया है। उन्होंने कहा कि इन राष्ट्रीय खेलों में लगभग 435 खेल स्पर्धाओं में 16 हजार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया, जिनमें कुछ जीते और कुछ हारे। श्री शाह ने कहा कि जीत का जज़्बा और हार से निराश न होना ही खेल का संदेश है। उन्होंने कहा कि मेघालय में आयोजित होने वाले अगले राष्ट्रीय खेलों में इन खिलाड़ियों के लिए मेडल जीतने का एक और मौका है।

‌केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की पहलों के कारण देश में खेल के वातावरण में काफी बदलाव आया है। मोदी जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य में ‘खेलो गुजरात’ प्रतियोगिता की शुरुआत की थी और उसके बाद से खेल क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि देश के कई जिलों में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हुआ, खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को प्रोत्साहन मिला और चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता आई, जिससे दुनिया में भारत के खेलों की प्रतिष्ठा बढ़ी है। 2014 में देश का खेल बजट 800 करोड़ रुपए था, 2025-26 में खेल बजट 3,800 करोड़ रुपए का हो गया है। 2014 में कॉमनवेल्थ गेम्स में 15 मेडल मिले थे, अब इनकी संख्या 26 हो चुकी है। इसी तरह, एशियाई खेलों में 2014 में 57 मेडल मिले थे, जिनकी संख्या बढ़कर अब 107 हो चुकी है। पैराएशियाई खेलों में पहले 33 मेडल मिले थे, जो बढ़कर 111 हो गए हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने वर्ष 2019 में आज ही के दिन जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए 40 जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि इन जवानों की शहादत ने देश को न केवल सुरक्षित किया बल्कि उनकी शहादत के बाद मोदी जी ने सीमा पार एयर स्ट्राइक कर आतंकवादियों को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि इसी कारण पूरी दुनिया में भारत को देखने का नजरिया बदला है और पूरी दुनिया के आतंकवादियों को संदेश गया है कि भारत की सीमा और सेना से कोई खिलवाड़ नहीं कर सकता।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मौके पर कहा कि कई खिलाड़ियों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर अनेक रिकॉर्ड स्थापित किए गए और भविष्य में भारत का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखने वाले बहुत से चैंपियन भी उभर कर सामने आए हैं। इन खेलों में जहां हमने पहली बार योग और मलखंब जैसे अपने पारंपरिक खेलों को शामिल करने का कार्य किया, वहीं रात्रि काल में रिवर राफ़्टिंग की प्रतियोगिता का आयोजन कर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय खेलों को ग्रीन गेम्स की थीम पर आयोजित किया गया। इस आयोजन में प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करने के साथ ही बिजली के लिए सोलर एनर्जी का उपयोग भी किया। खिलाड़ियों को दिए गए मेडल को ई-वेस्ट और खेल किटों को रीसाइकिल्ड पदार्थों से तैयार किया गया। ट्रांसपोर्टेशन के लिए ई-वाहनों का प्रयोग भी किया गया। 2.77 हेक्टेयर वन क्षेत्र को ’खेल वन’ के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया गया, जिसमें प्रत्येक पदक विजेता खिलाड़ी के नाम से रूद्राक्ष के पौधे लगाए जाएंगे।

 

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