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सिलक्यारा सुरंग रेस्क्यू: मजदूरों का फूटा गुस्सा, किया प्रदर्शन - Separato Spot Witness Times
दुर्घटना राज्य समाचार

सिलक्यारा सुरंग रेस्क्यू: मजदूरों का फूटा गुस्सा, किया प्रदर्शन

सिलक्यारा सुरंग रेस्क्यू: सुरंग में क़रिब 40 मजदूर फंसे हुए है। रेस्क्यू में लगातार बिलम्ब हो रहा है जिससे फंसे मजदूरों के साथी मजदूरों ने सुबह से हंगामा काटा हुआ है। सभी मजदूर अपने साथियों को बाहर निकालने की मांग पर अड़ गये है। घटना स्थल पर सही जानकारी देने को कोई जिम्मेदार अधिकारी सामने नही आ रहे है।

 

उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग के निर्माण में लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। सुरंग के जिस संवेदनशील हिस्से में भूस्खलन हुआ वहां उपचार के लिए गार्टर रिब की जगह सरियों का रिब बनाकर लगाया गया है।

 

सुरंग निर्माण से जुड़े लोगों का कहना है कि यहां गार्टर रिब लगाया गया होता तो भूस्खलन नहीं होता। बीते रविवार को निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन की घटना घटी जिसके चलते 40 मजदूर सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं।

 

निर्माण में लगी कंपनी की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। सुरंग के एक मशीन ऑपरेटर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कंपनी से जुड़े लोगों की लापरवाही से आज 40 लोगों का जीवन संकट में है।

 

 

बताया कि सिलक्यारा सुरंग के मुहाने से 200 मीटर अंदर जहां भूस्खलन हुआ है वह हिस्सा संवेदनशील है जिसमें गार्टर रिब की जगह 32 एमएम की सरियों से बना रिब लगाया गया। जो कि मलबे का दबाव नहीं झेल पाया। बताया कि यहां गार्टर रिब लगाया गया होता तो शायद यह हादसा नहीं होता

 

 

निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में दो प्वाइंट भूस्खलन के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं। पहला प्वाइंट सिलक्यारा मुहाने से 200 मीटर की दूरी पर है, जिसमें वर्तमान में भूस्खलन हुआ है। एक अन्य सिलक्यारा वाले मुहाने से ही 2000 से 2100 मीटर के मध्य है। टनल के एक मशीन ऑपरेटर ने बताया कि 2000 से 2100 के बीच वाले संवेदनशील पार्ट का स्थाई उपचार हुआ है लेकिन 200 मीटर के निकट वाले का नहीं।

 

रविवार को सुरंग में हुए भूस्खलन के मलबे में एक शॉटक्रिट मशीन व एक बूमर मशीन दबने की सूचना मिली है। एक मशीन ऑपरेटर ने बताया कि यहां उस दौरान ट्रीटमेंट का काम चल रहा था। जब हल्का मलबा गिरा तो इन मशीनों में कार्यरत कर्मचारियों ने भागकर अपनी जान बचाई।

 

टनल के संवेदनशील हिस्से को छोड़कर आगे काम करना खतरनाक होता है। संवेदनशील हिस्से का स्थिरीकरण करना जरूरी होता है। जब स्थिरीकरण करते हुए आगे बढ़ते हैं तो जैसा भूस्खलन टनल में हुआ है, इसका खतरा नहीं होता है।

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