दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने गैर सरकारी संगठन की ईवीएम वोटों की वीवीपैट पर्चियों से शत-प्रतिशत सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया। वर्तमान में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच रैंडम रूप से चयनित ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन किया जाता है। इस मामले पर दायर की गई याचिका में गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने दलीलें पेश की हैं।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें हर चीज़ के बारे में संदेह करने की ज़रूरत नहीं है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। आपको बता दें कि वीवीपैट, एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है, जो मतदाता को यह देखने में सक्षम बनाती है कि उसका वोट सही ढंग से पड़ सका है या नहीं।
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम की आलोचना और मतपत्रों को वापस लाने की मांग पर नाखुशी जताई थी। कोर्ट ने कहा कि भारत में चुनावी प्रक्रिया एक बहुत बड़ा काम है और इस तंत्र को कमजोर करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस बात का भी जिक्र किया कि मतपत्र के दौर में चुनाव परिणामों में हेरफेर करने के लिए कैसे मतदान केंद्रों को कब्जा लिया जाता था।
The Supreme Court reserved its verdict on petitions seeking 100 percent verification of EVM votes through VVPAT slips.