पश्चिम बंगाल, कोलकाता के ट्रेनी महिला डॉक्टर रेप और मर्डर केस पर आज सुप्रीम कोर्ट मे चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ में आज सुनवाई हुई । सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलीलें पेश की। इस दौरान दोनों के बीच कई बार तीखी बहस हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में सीबीआई से 22 अगस्त को जांच स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। सीबीआई को अस्पताल में भीड़ की बर्बरता की भी जांच करनी थी और सभी विवरण की जानकारी देनी थी।
सीबीआई ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की है। कोलकाता की ट्रेनी डॉक्टर की हत्या के मामले में अब तक की गई सीबीआई की जांच से संकेत मिला है कि उसके साथ सामूहिक बलात्कार नहीं हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर के विरोध में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को काम पर लौटने के लिए कहा है। कोर्ट ने उन्हें आश्वासन दिया कि काम पर लौटने के बाद उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी।
एम्स नागपुर के रेजिडेंट चिकित्सकों के वकील ने मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से कहा कि प्रदर्शन करने के लिए चिकित्सकों को प्रताड़ित किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि काम पर लौटें, इसके बाद भी कोई कठिनाई हो तो न्यायालय के पास आएं.
राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला ने राज्य सरकार के वकील से कहा कि राज्य द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया ऐसी है, जो 30 साल के अपने कार्यकाल में मैंने कभी नहीं देखी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के जज केस में अननेचुरल डेथ की बात) सुबह 5.20 बजे दर्ज करने और नॉन-मेडिकल बैकग्राउंड से सहायक अधीक्षक होने पर चिंता जता रहे थे। उनका आचरण भी कोर्ट को संदिग्ध लगा।
पीठ ने इस मामले में पुलिस की कानूनी औपचारिकताओं पर कहा कि यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि मृत पीड़िता का पोस्टमार्टम, अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने से पहले ही 9 अगस्त कीू बजकर 10 मिनट से सात बजकर 10 मिनट के बीच कर दिया गया. पीठ ने कहा, ‘ऐसा कैसे हुआ कि पोस्टमार्टम नौ अगस्त को शाम छह बजकर 10 मिनट पर किया गया लेकिन अप्राकृतिक मौत की सूचना पुलिस थाने को नौ अगस्त को रात साढ़े 11 बजे भेजी गई. यह बेहद परेशान करने वाली बात है
इसके अलावा न्यायालय ने इस घटना के बारे में पहली प्रविष्टि दर्ज करने वाले कोलकाता पुलिस के अधिकारी को अगली सुनवाई पर पेश होकर यह बताने को कहा कि प्रविष्टि किस समय दर्ज की गई. सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा कि सबसे अधिक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि मृत पीड़िता के अंतिम संस्कार के बाद रात पौने 12 बजे प्राथमिकी दर्ज की गई। मेहता ने पीठ से कहा, ‘राज्य पुलिस ने (पीड़िता के) माता-पिता से कहा कि यह आत्महत्या का मामला है, फिर उन्होंने कहा कि यह हत्या है। पीड़िता के मित्र को संदेह था कि इस मामले में कुछ छिपाया गया है और उसने वीडियोग्राफी पर जोर दिया.’
सीबीआई की जांच का फोकस अब 4 लोगों पर आ गया है। इनमें मुख्य आरोपी संजय रॉय, पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष, कोलकाता पुलिस का एएसआई अनूप दत्ता के अलावा सौरव भट्टाचार्या शामिल हैं।