रासायनिक, जैविक और आण्विक हमलों से सुरक्षा के लिए भारतीय सेना ने एलएंडटी लिमिटेड के साथ 80.43 करोड़ रुपये का किया अनुबंध।
दिल्ली , भारतीय सेना ने स्वदेश में ही डिजाइन, विकसित और निर्मित- आईडीडीएम श्रेणी के अंतर्गत 223 स्वचालित रासायनिक एजेंट पहचान और चेतावनी (एसीएडीए) प्रणाली को खरीदने के लिए मेसर्स एलएंडटी लिमिटेड के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इस खरीद अनुबंध की लागत 80.43 करोड़ रुपये है। इससे भारत सरकार के आत्मनिर्भरता अभियान को काफी बढ़ावा मिलेगा क्योंकि उपकरणों के 80% से अधिक घटकों और उप-प्रणालियों की खरीद स्थानीय स्तर पर ही की जाएगी।
स्वचालित रासायनिक एजेंट पहचान और चेतावनी प्रणाली को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, ग्वालियर ने डिजाइन और विकसित किया है। यह रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मी विकिरण वाले पदार्थों और आण्विक हमलों से सुरक्षा के लिए स्वदेशी उपकरणों के उपयोग के लिए राष्ट्र की पहल की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्वचालित रासायनिक एजेंट पहचान और चेतावनी (एसीएडीए) प्रणाली का उपयोग पर्यावरण से वायु का नमूना लेकर रासायनिक युद्ध के लिए उपयोग में लाए जाने वाले एजेंटों (सीडब्ल्यूए) और उसके लिए तैयार किए गए विषैले औद्योगिक रसायनों का पता लगाने में किया जाता है। यह आयन मोबिलिटी स्पेक्ट्रोमेट्री के सिद्धांत पर काम करता है और इसमें हानिकारक एवं विषैले पदार्थों का निरंतर पता लगाने तथा साथ ही साथ निगरानी के लिए दो अत्यधिक संवेदनशील आयन मोबिलिटी स्पेक्ट्रोमेट्री सेल होते हैं। फील्ड यूनिटों में स्वचालित रासायनिक एजेंट पहचान और चेतावनी प्रणाली को शामिल करने से इस क्षेत्र में भारतीय सेना की रक्षात्मक क्षमता में वृद्धि होगी। साथ ही, शांति काल में, विशेष रूप से औद्योगिक दुर्घटनाओं से संबंधित आपदा राहत से जुड़ी परिस्थितियों में प्रतिक्रिया के लिए भी इनका उपयोग किया जा सकेगा।
