13 April 2025,
दिल्ली , अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड ने हाल ही में कहा था कि ‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम लंबे समय से हैकर्स के लिए असुरक्षित रहे हैं और इनका इस्तेमाल वोटिंग के नतीजों को बदलने के लिए किया जा सकता है। गबार्ड ने कहा था कि इन तथ्यों के आधार पर पूरे देश में पेपर बैलट कागज़ की पर्चियों से मतदान का उपयोग ज़रूरी है, ताकि मतदाता अमेरिकी चुनावों की निष्पक्षता पर भरोसा कर सकें। तुलसी गबार्ड से पहले वैश्विक स्तर के उधोगपति एलन मस्क ने भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को खत्म करने की मांग की थी। मस्क का मानना है कि, इन्हें इंसान या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए हैक किया जा सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ईवीएम पर दिए तुलसी गबार्ड के बयान पर भारत के चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया दी है। कहा कि, भारत में जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें इस्तेमाल होती हैं, वे बिल्कुल ‘सरल, सही और सटीक कैलकुलेटर’ की तरह काम करती हैं। इन्हें इंटरनेट, वाई-फाई के जरिए हैक नहीं किया जा सकता है। चुनाव आयोग ने कहा है कि कुछ देशों में जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम अपनाए जाते हैं, वे कई तरह की तकनीकों, मशीनों और प्रक्रियाओं का मिश्रण होते हैं. उनमें निजी नेटवर्क और इंटरनेट का भी इस्तेमाल होता है। आयोग ने कहा कि भारत की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन इन सबसे अलग और पूरी तरह से सुरक्षित हैं.
भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कानूनी जांच हो चुकी है। यहां मशीनें हर चरण पर राजनीतिक पार्टियों द्वारा जांची जाती हैं। यहां तक कि मतदान शुरू होने से पहले मॉक पोल कराए जाते हैं। चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि अब तक पांच करोड़ से अधिक पेपर ट्रेल मशीन की पर्चियों का मिलान मतगणना के समय राजनीतिक पार्टियों की मौजूदगी में किया जा चुका है।
भारत में विपक्षी पार्टियां भी लंबे समय से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में धांधली किए जाने का मुद्दा उठाती रही हैं। एक बार फिर कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने
अमेरिकन नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक तुलसी गैबर्ड के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए जाने को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि, केन्द्रीय चुनाव आयोग को इवीएम प्रकरण में संज्ञान लेने और सबूत मांगने के बजाय प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं कि हमारी इवीएम परफेक्ट है। क्या जल्दी है? अब समय आ गया है कि कई राज्यों में चुनाव लड़ने जा रहे हैं तो चुनाव आयोग को उठाए गए संदेह की जवाबदेही लेनी चाहिए।