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ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में “वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और साझी मूल्यों को बढ़ावा देने की सामूहिक प्रतिबद्धता दोहराई, - Separato Spot Witness Times
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ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में “वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और साझी मूल्यों को बढ़ावा देने की सामूहिक प्रतिबद्धता दोहराई,

Delhi, 06 JUL 2025,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलके शानदार आयोजन के लिए मैं राष्ट्रपति लूला का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। ब्राजील की अध्यक्षता में ब्रिक्स के अंतर्गत हमारे सहयोग को नई गति और उर्जा मिली है। जो नई ऊर्जा मिली है — वो एसप्रेसो नहीं, डबल एस्प्रेसो शॉट है ! इसके लिए मैं राष्ट्रपति लूला की दूरदर्शिता और उनकी अटूट प्रतिबद्धता की सराहना करता हूँ। इंडोनेशिया के ब्रिक्स परिवार से जुड़ने पर मैं अपने मित्र, राष्ट्रपति प्रबोवो को भारत की ओर सेबहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ।

श्री मोदी ने कहा ग्लोबल साउथ अक्सर दोहरे मापदंडों का शिकार रहा है। चाहे विकास की बात हो, संसाधनों का वितरण हो, या सुरक्षा से जुड़े विषय हों, ग्लोबल साउथ के हितों को प्राथमिकता नहीं मिली है। क्लाइमेट फाइनेंस सस्टेनेबल डेवलपमेंट और टेक्नोलॉजी एक्सेस जैसे विषयों पर ग्लोबल साउथ को अक्सर टोकन गेसचर्स के अलावा कुछ नहीं मिला।

20 वें सेंचुरी में बने ग्लोबल संस्थानों में मानवता के दो-तिहाई हिस्से को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। जिन देशों का, आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है, उन्हें डिसीजन मेकिंग टेबल पर बिठाया नहीं गया है। यह केवल रिप्रेजेंटेशन का प्रश्न नहीं है, बल्कि क्रिएटिविटी और इफेक्टिवेनेस का भी प्रश्न है। बिना ग्लोबल साउथ के ये संस्थाएँ वैसी ही लगती हैं जैसे मोबाइल में सिम तो है, पर नेटवर्क नहीं। यह संस्थान, 21वीं सेंचुरी की चुनौतियों से निपटने में असमर्थ हैं। विश्व के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे संघर्ष हों, पैंडेमिकहों, आर्थिक संकट हों, या साइबर और स्पेस में नयी उभरती चुनौतियाँ, इन संस्थानों के पास कोई समाधान नहीं है। उन्होंने कहा,आज विश्व को नए मल्टी पोलर और इंक्लूसिव वर्ल्ड ऑर्डर की जरूरत है। इसकी शुरुआत वैश्विक संस्थानों में व्यापक सुधारों से करनी होगी। सुधार केवल प्रतीकात्मक नहीं होने चाहिए, बल्कि इनका वास्तविक असर भी दिखना चाहिए। गवर्नेंस स्ट्रक्चर वोटिंग राइट और लीडरशिप पोजिशन में बदलाव आना चाहिए। ग्लोबल साउथ के देशों की चुनौतियों को पॉलिसी मेकिंग में प्राथमिकता देनी चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स का विस्तार, नए मित्रों का जुड़ना, इस बात का प्रमाण है कि ब्रिक्स एक ऐसा संगठन है, जो समय के अनुसार खुद को बदलने की क्षमता रखता है। अब यही इच्छाशक्ति हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन और मल्टीलेटरल डेवलपमेंट बैंक्स जैसे संस्थानों में सुधारों के लिए दिखानी होगी। भारत ने सदैव, अपने हितों से ऊपर उठकर मानवता के हित में काम करना, अपना दायित्व समझा है। हम ब्रिक्स देशों के साथ मिलकर, सभी विषयों पर, रचनात्मक योगदान देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।

एक अन्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो स्थित म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में आयोजित पारंपरिक फैमिली फोटो सेशन में भाग लिया। इस फोटो सेशन में ब्रिक्स के मौजूदा और नए सदस्य देशों के नेताओं ने एक साथ खड़े होकर वैश्विक एकता और सहयोग का प्रतीकात्मक संदेश दिया। पीएम मोदी के साथ तस्वीर में ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा और अन्य सात नए सदस्य देशों के प्रतिनिधि भी शामिल थे, जिनमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात , इंडोनेशिया और सऊदी अरब शामिल हैं।

बता दें कि यह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की विस्तारित सदस्यता के साथ आयोजित पहला शिखर सम्मेलन है। पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा, “ब्रिक्स नेताओं के साथ रियो-डी-जेनेरियो में हमने साझा विकास और सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में एक समावेशी और न्यायसंगत वैश्विक भविष्य को आकार देने की अपार क्षमता है।” वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और साझी मूल्यों को बढ़ावा देने की सामूहिक प्रतिबद्धता दोहराई गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षब्राजील के रियो डी जेनेरियो में 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में दी ने कहा, “AI की उम्र में जब टेक्नोलॉजी हर सप्ताह अपडेट हो रही है, यह एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान के लिए स्वीकार्य नहीं है कि वह आठ साल में भी एक बार अपडेट नहीं हो। 20वीं सदी के टाइपराइटर 21वीं सदी के सॉफ्टवेयर नहीं चला सकते।”

 

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