October 31, 2025

सेनाएँ केवल धारा के अनुगामी नही, उनमें धारा को दिशा देने की क्षमता है, समय का नेतृत्व करने का साहस है, अनंत को पार करने की शक्ति है और दुर्गम को पार करने की भावना है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। 

Delhi, 20 October 2025,

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज आईएनएस विक्रांत पर दीपावली समारोह मनाया। आईएनएस विक्रांत से, प्रधानमंत्री ने देश के सभी 140 करोड़ नागरिकों को दीपावली की शुभकामनाएँ दीं। इस दौरान प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों के जवानों को संबोधित करते हुए कहा, आज का दिन एक अद्भुत दिन, एक अद्भुत क्षण और एक अद्भुत दृश्य है एक ओर विशाल महासागर है, तो दूसरी ओर भारत माता के वीर सैनिकों की अपार शक्ति है। उन्होंने कहा कि जहाँ एक ओर अनंत क्षितिज और असीम आकाश है, वहीं दूसरी ओर आईएनएस विक्रांत की असीम शक्ति है, जो अनंत शक्ति का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि समुद्र पर सूर्य की रोशनी की चमक, दीपावली के दौरान वीर सैनिकों द्वारा जलाए गए दीपों की तरह है, जो दीपों की एक दिव्य माला बनाती है। उन्होंने कहा कि मेरा यह सौभाग्य है कि मैं भारतीय नौसेना के वीर जवानों के बीच यह दीपावली मना रहा हूँ।

प्रधानमंत्री ने कहा, “आईएनएस विक्रांत आज आत्मनिर्भर भारत और मेड इन इंडिया का एक सशक्त प्रतीक है।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि स्वदेशी रूप से निर्मित आईएनएस विक्रांत, समुद्र को चीरता हुआ, भारत की सैन्य शक्ति को दर्शाता है। उन्होंने याद दिलाया कि कुछ महीने पहले ही, विक्रांत के नाम ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी थी। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि आईएनएस विक्रांत एक ऐसा युद्धपोत है, जिसका नाम ही दुश्मन के दुस्साहस का अंत करने के लिए पर्याप्त है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को शीघ्र आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि इसमें शामिल सभी सैन्यकर्मी बधाई के पात्र हैं। प्रधानमंत्री ने गर्व व्यक्त किया कि पिछले एक दशक में भारत की सेनाएँ आत्मनिर्भरता की ओर लगातार आगे बढ़ी हैं। अब अधिकांश आवश्यक सैन्य उपकरण घरेलू स्तर पर निर्मित किए जा रहे हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले 11 वर्षों में भारत का रक्षा उत्पादन तीन गुना से भी ज़्यादा बढ़कर पिछले साल 1.5 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। एक और उदाहरण देते हुए, श्री मोदी ने राष्ट्र को बताया कि 2014 से अब तक भारतीय शिपयार्ड ने नौसेना को 40 से ज़्यादा स्वदेशी युद्धपोत और पनडुब्बियाँ प्रदान की हैं। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में औसतन हर 40 दिनों में एक नया स्वदेशी युद्धपोत या पनडुब्बी नौसेना में शामिल हो रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जहाँ राष्ट्रों की अर्थव्यवस्थाएँ और प्रगति समुद्री मार्गों पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं, भारतीय नौसेना वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनिया की 66 प्रतिशत तेल आपूर्ति और 50 प्रतिशत कंटेनर शिपमेंट हिंद महासागर से होकर गुजरते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना इन मार्गों की सुरक्षा के लिए हिंद महासागर के संरक्षक के रूप में तैनात है। इसके अतिरिक्त, मिशन-आधारित तैनाती, समुद्री डकैती-रोधी गश्त और मानवीय सहायता अभियानों के माध्यम से, भारतीय नौसेना पूरे क्षेत्र में एक वैश्विक सुरक्षा भागीदार के रूप में कार्य करती है। भारत दुनिया में मानवीय सहायता देने के लिए तैयार रहा है। अफ्रीका से लेकर दक्षिण पूर्व एशिया तक, आपदा के समय, दुनिया भारत को एक वैश्विक साथी के रूप में देखती है। श्री मोदी ने याद दिलाया कि 2014 में, जब पड़ोसी मालदीव को जल संकट का सामना करना पड़ा, तो भारत ने ‘ऑपरेशन नीर’ शुरू किया और नौसेना ने उस देश में स्वच्छ जल पहुँचाया। 2017 में, जब श्रीलंका विनाशकारी बाढ़ से जूझ रहा था, तो भारत ने सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाया था। 2018 में, इंडोनेशिया में सुनामी आपदा के बाद, भारत राहत और बचाव कार्यों में इंडोनेशिया के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा। इसी तरह, चाहे वह म्यांमार में भूकंप से हुई तबाही हो या 2019 में मोज़ाम्बिक और 2020 में मेडागास्कर में संकट, भारत सेवा भावना के साथ हर जगह पहुँचा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के सुरक्षा बलों के पराक्रम और साहस के कारण, राष्ट्र ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है – माओवादी आतंकवाद का उन्मूलन। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत अब नक्सल-माओवादी उग्रवाद से पूर्ण मुक्ति के मुहाने पर है। 2014 से पहले, लगभग 125 जिले माओवादी हिंसा से प्रभावित थे; आज यह संख्या घटकर केवल 11 रह गई है और केवल 3 जिले ही इससे गंभीर रूप से प्रभावित हैं। श्री मोदी ने कहा कि 100 से अधिक जिले अब माओवादी आतंक के साये से मुक्त होकर विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, सेनाएँ केवल धारा के अनुगामी नहीं हैं। उनमें धारा को दिशा देने की क्षमता है, समय का नेतृत्व करने का साहस है, अनंत को पार करने की शक्ति है और दुर्गम को पार करने की भावना है। उन्होंने घोषणा की कि जिन पर्वत शिखरों पर हमारे सैनिक अडिग खड़े हैं, वे भारत के विजय स्तंभ बने रहेंगे और समुद्र के नीचे की भारतविशाल लहरें भारत की विजय को प्रतिध्वनित करती रहेंगी। इस गर्जना के बीच, एक ही स्वर उठेगा—’ माता की जय!’ इसी उत्साह और दृढ़ विश्वास के साथ, प्रधानमंत्री ने एक बार फिर सभी को दीपावली की हार्दिक हुए अपने संबोधन का समापन किया। दी।

 

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