December 7, 2025

यह सत्र केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि राष्ट्र की तीव्र प्रगति की चल रही यात्रा के लिए नई ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है:प्रधानमंत्री मोदी,

Delhi 01 December 2025,आज संसद परिसर में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शीतकालीन सत्र 2025 के आरंभ से पूर्व मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि, यह सत्र केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि राष्ट्र की तीव्र प्रगति की चल रही यात्रा के लिए नई ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। प्रधानमंत्री ने कहा की, “यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह सत्र राष्ट्र की प्रगति में तेजी लाने के लिए वर्तमान में चल रहे प्रयासों में एक नई ऊर्जा का संचार करेगा। जैसे-जैसे भारत के लोकतांत्रिक संस्थान मजबूत हो रहे हैं, दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं किस प्रकार राष्ट्र की आर्थिक क्षमताओं को भी सुदृढ़ कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा “भारत ने यह सिद्ध कर दिया है कि लोकतंत्र सफल परिणाम दे सकता है।” जिस गति से भारत की आर्थिक स्थितियाँ नई ऊँचाइयों को छू रही हैं, वह नया विश्वास जगाती है और विकसित भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए हमें नई शक्ति देती है।

प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे सत्र को राष्ट्रीय हित, रचनात्मक चर्चा और नीति-आधारित परिणामों पर केंद्रित रखें। उन्होंने जोर देकर कहा कि संसद को इस बात पर ध्यान केंद्रित रहना चाहिए कि वह राष्ट्र के लिए क्या कल्पना करती है और राष्ट्र के लिए क्या करना चाहती है। प्रधानमंत्री ने विपक्ष से सार्थक और महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने का आह्वान किया। उन्होंने दलों को आगाह किया कि वे चुनावी हार की निराशा को संसदीय कार्यवाही पर हावी न होने दें। श्री मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि सत्र में चुनावी जीत से उपजा अहंकार भी नहीं झलकना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘शीतकालीन सत्र में संतुलन, जिम्मेदारी, और जनप्रतिनिधियों से अपेक्षित गरिमा झलकनी चाहिए। पहली बार चुने गए और युवा सांसदों को सदन में बोलने के लिए पर्याप्त मौका मिले। उन्होंने सभी दलों से आग्रह किया कि वे सुनिश्चित करें कि इन सांसदों को वह मंच मिले जिसके वे हकदार हैं। उन्होंने कहा, ‘सदन और राष्ट्र, दोनों को नई पीढ़ी की समझ और ऊर्जा से लाभ मिलना चाहिए।’

प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि संसद नीति (पॉलिसी) और परिणामों (डिलीवरी) के लिए है, न कि ड्रामा या नारेबाजी के लिए। उन्होंने कहा, ‘ड्रामा करने या नारेबाजी के लिए अन्य जगहों की कोई कमी नहीं है। संसद में, हमारा ध्यान नीति पर केंद्रित होना चाहिए और हमारा इरादा स्पष्ट होना चाहिए।’

श्री मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि, हाल के दिनों में, हमारी संसद का उपयोग या तो चुनावों के लिए ‘वॉर्म-अप ग्राउंड’ के रूप में किया जा रहा है या फिर चुनावी हार के बाद निराशा निकालने की जगह के रूप में। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘देश ने इन तरीकों को स्वीकार नहीं किया है। अब समय आ गया है कि वे अपना दृष्टिकोण और रणनीति बदलें। मैं तो उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने के तरीके पर सुझाव देने के लिए भी तैयार हूँ।’

 

 

 

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