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कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा को लेकर उठाए सवाल? गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों को भुला दिया गया है, - Separato Spot Witness Times
राजनीतिक राष्ट्रीय समाचार

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा को लेकर उठाए सवाल? गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों को भुला दिया गया है,

Delhi 31 August 2025,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों चीन दौरे पर हैं। चीन के तियानजिन में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन एससीओ समिट हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी एससीओ समिट में हिस्सा लेने के साथ-साथ, अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री की इस चीनी यात्रा को लेकर कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस चीन यात्रा से पहले भाजपा के नेताओं द्वारा कांग्रेस पर चीन को लेकर कथित रूप से तीखी टिप्पणियां की जाती रही हैं। प्रतिक्रिया स्वरूप कांग्रेस भी इस मौके को चूकना नहीं चाहती है। उसने प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा को लेकर निशान साधा है।

उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों को भुला दिया और मुस्कुराते हुए चीन के राष्ट्रपति से हाथ मिला लिया है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी की तीखी आलोचना करते हुए एक पोस्ट शेयर की है। जयराम रमेश ने आज प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात का मूल्यांकन निम्नलिखित संदर्भों में किया जाना चाहिए।

जून 2020 में गलवान घाटी में चीनी आक्रामकता के चलते हमारे 20 सबसे बहादुर जवानों ने अपनी जान की क़ुर्बानी दी। इसके बावजूद, 19 जून 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को कायराना (कुख्यात) क्लीन चिट दे दी। सेना प्रमुख ने लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर यथास्थिति की पूर्ण बहाली की मांग की थी। लेकिन इसे हासिल करने में विफल रहने के बावजूद मोदी सरकार ने चीन के साथ सुलह की दिशा में क़दम बढ़ाए, जिससे चीन की उस क्षेत्र में आक्रामकता को अप्रत्यक्ष रूप से वैधता मिल गई।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि, 4 जुलाई, 2025 को, उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ चीन की जुगलबंदी पर जोरदार और स्पष्ट रूप से बात की। मगर इस अशुभ गठजोड़ पर ठोस प्रतिक्रिया देने के बजाय, मोदी सरकार ने इसे नियति मानकर चुपचाप स्वीकार कर लिया और अब चीन को राजकीय दौरों से पुरस्कृत कर रही है। चीन ने यारलुंग त्संगपो पर एक विशाल के बजाय, भारत ने चीनी आयातकों को लगभग खुली छूट दे दी है। जलविद्युत परियोजना की घोषणा हमारे उत्तर-पूर्वी राज्यों पर बेहद गंभीर प्रभाव पड़ेंगे। लेकिन मोदी सरकार की तरफ़ से इस मुद्दे पर एक शब्द भी नहीं बोला गया। चीन से आयात की अनियंत्रित डंपिंग जारी है, जिसने हमारी एमएसएमई इकाइयों को बुरी तरह प्रभावित किया है। अन्य देशों की तरह सख़्त कदम उठाने। एमएसएमई क्या ‘न्यू नॉर्मल’ चीनी आक्रामकता और हमारी सरकार की कायरता से परिभाषित किया जाना चाहिए?

 

 

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