October 31, 2025

न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल्य ऐसे सिद्धांत हैं जिन पर हम एक राष्ट्र के रूप में स्‍वयं को संचालित करने के लिए सहमत हुए हैं: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु।

दिल्ली, नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित “संविधान दिवस” समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि आज, हम संविधान में निहित मूल्यों का समारोह मनाते हैं और राष्ट्र के दैनिक जीवन में इन मूल्‍यों को बनाए रखने के लिए अपने आपको पुन: समर्पित करते हैं। न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल्य ऐसे सिद्धांत हैं जिन पर हम एक राष्ट्र के रूप में स्‍वयं को संचालित करने के लिए सहमत हुए हैं। इन मूल्यों ने हमें स्वतंत्रता प्राप्ति में भी सहायता प्रदान की है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि इन मूल्‍यों का संविधान की प्रस्‍तावना में भी विशेष उल्लेख किया गया है और ये हमारे राष्ट्र-निर्माण के प्रयासों में मार्गदर्शन करते रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय का उद्देश्य इसे सभी के लिए सहज और सुलभ बनाकर सर्वोत्तम रूप से पूरा किया जा सकता है। हमें अपने आप से यह पूछना चाहिए कि क्‍या देश का प्रत्‍येक नागरिक न्‍याय पाने की स्थिति में है। अगर हम आत्ममंथन करें तो हमें यह पता चलता है कि इस रास्ते में अनेक बाधाएं हैं। इनमें लागत सबसे महत्वपूर्ण कारक है। भाषा जैसी अन्य बाधाएं भी हैं, जो अधिकांश नागरिकों की अवधारणा से बाहर हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय तक पहुंच को बेहतर बनाने के लिए हमें समग्र प्रणाली को नागरिक-केंद्रित बनाने का प्रयास करना चाहिए। हमारी प्रणालियां समय की उपज हैं; अधिक सटीक रूप से कहें तो ये उपनिवेशवाद की उत्पाद हैं। इसके अवशेषों को साफ करना प्रगति का कार्य रहा है। उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि हम सभी क्षेत्रों में उपनिवेशवाद के बकाया हिस्‍से को दूर करने के लिए अधिक सचेत प्रयासों के साथ तेजी से काम कर सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि जब हम संविधान दिवस मनाते हैं, तो हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि संविधान आखिरकार एक लिखित दस्तावेज है, जो तभी जीवंत होता है और जीवित रहता है अगर इसकी सामग्री को व्यवहार में लाया जाए। इसके लिए व्याख्या के निरंतर अभ्यास की आवश्यकता है। उन्होंने हमारे संस्थापक दस्तावेजों की भूमिका पूर्णता से निभाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस न्यायालय की बार और बेंच ने न्यायशास्त्र के मानकों को लगातार बढ़ावा दिया है। उनकी कानूनी कुशलता और विद्वता बहुत उत्‍कृष्‍ट रही है। हमारे संविधान की तरह, हमारा सर्वोच्च न्यायालय भी कई अन्‍य देशों के लिए एक आदर्श रहा है। उन्होंने विश्वास जाहिर किया कि एक जीवंत न्यायपालिका के साथ, हमारे लोकतंत्र का स्वास्थ्य कभी भी चिंता का कारण नहीं बनेगा।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने ‘लोक अदालत’ के तौर पर अपनी भूमिका निभाई है और नागरिकों को अदालतों का दरवाजा खटखटाने से नहीं डरना चाहिए, या इसे अंतिम उपाय के रूप में नहीं देखना चाहिए।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘जिस तरह संविधान हमें स्थापित लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं के माध्यम से राजनीतिक मतभेदों को हल करने की अनुमति देता है, अदालती प्रणाली स्थापित सिद्धांतों और प्रक्रियाओं के माध्यम से कई असहमतियों को सुलझाने में मदद करती है।

इस समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright2017©Spot Witness Times. Designed by MTC, 9084358715. All rights reserved. | Newsphere by AF themes.