Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the pennews domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/hy55hp3a22dd/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
सतत विकास और जलवायु परिवर्तन पर काबू पाना सुरक्षित भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है:उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़। - Separato Spot Witness Times
Environment

सतत विकास और जलवायु परिवर्तन पर काबू पाना सुरक्षित भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है:उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़।

देहरादून: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज विकास और संरक्षण के बीच एक नाजुक संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे नागरिकों की विकास आवश्यकताओं को पूरा करते हुए हमारे जंगल फलते-फूलते रहें। यह देखते हुए कि वन हमारे लाखों नागरिकों, विशेषकर आदिवासी समुदायों की जीवन रेखा हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि, हालांकि वनों का संरक्षण, महत्वपूर्ण है तथापि वन संसाधनों पर निर्भर समुदायों को उन से अलग नहीं किया जा सकता है।

देहरादून में उपराष्ट्रपति ने वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में , पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आयोजित, कंट्री लेड इनिशिएटिव के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि, यह पृथ्वी हमारी नहीं है, और हमें इसे आने वाली पीढ़ियों को सौंपना होगा। जैव विविधता के पोषण और संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि हम केवल इसके ट्रस्टी हैं, और हम अपने लापरवाह दृष्टिकोण और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के साथ अपनी भावी पीढ़ियों के साथ समझौता नहीं कर सकते। अपने संबोधन में, उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सतत विकास और जलवायु परिवर्तन पर काबू पाना सुरक्षित भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। भावी चुनौतियाँ के प्रति लोगों को आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि यदि विकास टिकाऊ नहीं है तो पृथ्वी पर जीवित रहना मुश्किल होगा।

यह उल्लेख करते हुए कि वन एक कार्बन सिंक प्रदान करते हैं जो हर साल 2.4 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन को अवशोषित करता है, उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि हम सभी को यह महसूस करने की आवश्यकता है कि वन ही जलवायु परिवर्तन का एक मात्र समाधान हैं। उन्होंने कहा, “हमारे वन केवल एक संसाधन मात्र नहीं हैं बल्कि देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक विरासत को भी समाहित करते हैं।”

2030 तक यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कि गाँव के चरागाहों और तालाबों का कायाकल्प और पोषण हो, जो गाँव के जीवन और मवेशियों के लिए आवश्यक हैं, श्री धनखड़ ने इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर ग्रामीण जनता के बीच जागरूकता पैदा करने का आह्वान किया। उन्होंने अमृत काल में अमृत सरोवर योजना के प्रभावी कार्यान्वयन पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। जंगलों में लगने वाली आग के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति के बावजूद, विकसित देश भी इस समस्या का सामना कर रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए बहुस्तरीय दृष्टिकोण को अपनाने का आह्वान करते हुए, उन्होंने जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं को कम करने के लिए कुछ कदमों के रूप में प्रौद्योगिकी, के प्रति जागरूकता बढाने को कहा।

उत्तराखंड के राज्यपाल, लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, वन महानिदेशक, चंद्र प्रकाश गोयल, निदेशक, यूनिसेफ जूलियट बियाओ कॉडेनौक पो , अतिरिक्त महानिदेशक वन, महानिदेशक, आईसीएफआरई, बिवाश रंजन , भरत ज्योति, और विभिन्न देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सम्मानित प्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

 

 

 

 

Related posts

वृहद स्तर पर सामूहिक भागीदारी के साथ आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण, स्वच्छता के स्तर को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है:राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु।

Dharmpal Singh Rawat

प्रतिबन्धित किए गए “सिंगल यूज प्लास्टिक जागरूकता कार्यक्रम” में प्लास्टिक के उपयोग व प्रयोग करने पर दंड के प्रावधानो की जानकारी दी गई।

Dharmpal Singh Rawat

Sunlight can help dissolve oil into seawater

Dharmpal Singh Rawat

Leave a Comment