देहरादून, एच.एन.बी.ग. सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा दस राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों की एच.एन.बी.ग. सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी से संबद्धता समाप्त करने संबंधी प्रकरण पर छात्र-हित में सकारात्मक कार्रवाई हेतु भारतीय जनता पार्टी नेता एवं उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी विवेकानंद खंडूरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विगत दिनों मांगपत्र प्रेषित किया था। जिसपर प्रधानमंत्री ने त्वरित कार्यवाही करते हुए प्रकरण के निस्तारण हेतु संबंधित विभागों के अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए थे। संबंधित विभागों ने अवगत कराया है कि मांग पत्र में उल्लेखित मुख्य बिंदुओं का निस्तारण कर दिया है शेष पर कार्यवाही जारी है। विवेकानंद खंडूरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का आभार व्यक्त किया है ।
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी विवेकानंद खंडूरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गढ़वाल मंडल के दस राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों की एच.एन.बी.ग. सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर गढ़वाल से संबद्धता पुनः बहाल किए जाने, गढ़वाल मंडल के महाविद्यालय में छात्रों को मेरिट के आधार पर प्रवेश देने और ,”दून यूनिवर्सिटी” को भारत सरकार से सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाए जाने संबंधी मांग पत्र प्रेषित किया था।
यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के दस कालेजों की संबद्धता समाप्त किए जाने के असंवैधानिक फैसले की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर की थी। इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय ने तीन बार टेलीफोनिक वार्ता की। इसके पश्चात कालेजों की संबद्धता समाप्त किए जाने के प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए, प्रधानमंत्री कार्यालय ने दिशा निर्देश जारी कर, एच.एन.बी.ग. सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल को निस्तारण हेतु भेज दिया। इसके बाद ही एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने महाविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया सीईयूटी के आधार पर कराने के साथ-साथ पूर्व की भांति इण्टर की मेरिट के आधार पर शुरू की है।
ज्ञातव्य हो कि, एच.एन.बी.ग. यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने 30 मई 2023 को उक्त दस कालेजों की संबद्धता समाप्त कर दी थी। इसके साथ इन सभी दस कॉलेजों को श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी से संबद्धता लेने के लिए कहा गया। यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के इसवादित निर्णय के खिलाफ प्रभावित सभी दस कॉलेजों ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय से स्थगनादेश ले लिया है। वर्तमान में यह मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के इस विवादित निर्णय के चलते कालेजों में प्रवेश प्रक्रिया भी बाधित हुई है। अभी भी प्रभावित कालेजों में सीटें रिक्त हैं।