Delhi, 22 July 2025,
न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास परिसर में आग से जले करोड़ो के नोट बरामदगी मामले में उनके खिलाफ संसद में महाभियोग चलाया जाना तय है। सत्तापक्ष और विपक्ष के करीब 208 सांसदों ने महाभियोग के इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपे गए नोटिस में भाजपा के रविशंकर प्रसाद, अनुराग ठाकुर , राहुल गांधी समेत कुल 145 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं। वहीं, राज्यसभा के सभापति को सौंपे गए नोटिस पर 63 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
निचले सदन में अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत नोटिस दिए गए हैं। किसी न्यायाधीश को हटाने के प्रस्ताव पर लोकसभा में कम से कम 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर होने चाहिए।
महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकृत अथवा अस्वीकृत करना स्पीकर के अधिकार में है। प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद एक कमेटी गठित की जाएगी। इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के जज भी शामिल होते हैं। समिति आरोपों की जांच करती है और अपनी रिपोर्ट सौंपती है। समिति अगर आरोपों को सही पाती है, तो प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है। प्रत्येक सदन में प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत से पारित होना जरूरी है। दोनों सदनों द्वारा पारित होने पर प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए जाता है।
ज्ञातव्य हो कि,14 मार्च 2025 को होली की रात करीब जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में आग लग गई थी। वह दिल्ली से बाहर थे। उनके परिवार वालों ने आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड आग बुझाने बड़ी संख्या में पुलिस बल आई। इस दौरान वहां कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नोटों की जली हुई गड्डियां मिली थी। जिसकी रिपोर्ट मौके पर पहुंचे फायर ब्रिगेड आफिसर ने अपने उच्च अधिकारियों से की थी।
इसके बाद इस प्रकरण की जांच के लिए एक जांच समिति गठित की गई। जांच समिति की रिपोर्ट में बताया गया कि, न्यायाधीश यशवंत वर्मा नोटों ने जली हुई गड्डियों का सोर्स बताने में विफल रहे। इसके बाद जांच समिति ने महाभियोग की सिफारिश की, जिसे केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है।