Delhi, 06 July 2025,
तथाकथित नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) गांधी परिवार और अन्य के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोप पत्र दायर किया। ईडी के आरोपपत्र में दुबे, पित्रोदा, सुनील भंडारी, यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड को भी नामजद किया गया है। इस मामले में ईडी कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सहित अन्य कांग्रेस नेताओं को ईडी कार्यालय में बुलाकर गहन पूछताछ भी की है।
प्रवर्तन निदेशालय ईडी का आरोप है कि गांधी परिवार के पास यंग इंडियन में 76 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, जिसने 90 करोड़ रुपये के ऋण के बदले में धोखाधड़ी से एजेएल की संपत्ति ‘हड़प’ कर ली ली गई। ईडी के अधिवक्ता अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने तीन जुलाई को दायर आरोप पत्र पर अपनी दलीलें देते हुए कहा कि गांधी परिवार लाभ प्राप्त करने वाले मालिक हैं। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने आशंका जताई कि, यंग इंडियन के अन्य शेयरधारकों के बाद गांधी परिवार को इस का लाभ मिलेगा।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने ईडी की इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि खेड़ा ने साफ किया कि ईडी को यह सुझाव देने का कोई अधिकार नहीं है। क्योंकि कांग्रेस ने ब्याज मुक्त कर्ज दिया था ताकि अखबार के जरिए विचारधारा का प्रचार-प्रसार किया जा सके। न कि कोई व्यावसायिक लेन-देन। उन्होंने बताया कि अखबार को पुनर्जीवित करने के लिए एक नॉन-प्रॉफिट कंपनी बनाई गई है। पवन खेड़ा ने कहा कि, ईडी ने जो भी दस्तावेज जब्त किए गए हैं, उन्हें रिकॉर्ड में लाया जाए।
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि, यह मामला अनोखा है क्योंकि इसमें बिना किसी संपत्ति या लाभ के धनशोधन का आरोप है। उन्होंने बताया कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएललगाया गया)की कोई भी संपत्ति या पैसा सीधे किसी कांग्रेस नेता को नहीं मिला। फिर भी, ईडी ने इस मामले को धनशोधन से जोड़ा है।उन्होंने कहा कि एजेएल के शेयरों में पैसा लगाने के बाद यंग इंडियन को केवल लाभांश पर अधिकार मिला तथा एजेएल की संपत्तियों पर कोई ब्याज नहीं बनाया गया।
सिंघवी ने प्रश्न उठाया, ‘‘गांधी परिवार और यंग इंडियन को एजेएल का छद्म रूप कैसे माना जा सकता है?’सिंघवी ने कहा कि ईडी ने ‘‘गांधी परिवार और अन्य के खिलाफ ‘‘एक क्रूर कृत्य का आपराधिक संज्ञान’’ मांगा है।
उन्होंने कहा, ‘‘2010 में एजेएल के पुनर्गठन और 2021 में प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) के पंजीकरण के बीच 11 साल का अंतर है। इससे बड़ा अंतराल नहीं हो सकता। निजी शिकायत (सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर) और ईसीआईआर में भी आठ साल का अंतर है।