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सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू:कोर्ट ने केंद्र सरकार से 'वक्फ बाई यूजर' के मुद्दे पर जवाब मांगा: अगली सुनवाई गुरुवार को - Separato Spot Witness Times
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सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू:कोर्ट ने केंद्र सरकार से ‘वक्फ बाई यूजर’ के मुद्दे पर जवाब मांगा: अगली सुनवाई गुरुवार को

दिल्ली , सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय बेंच में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कई पुरानी मस्जिदें हैं। उनमें 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें है, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। मुख्य न्यायाधीश ने केन्द्र सरकार से पूछा कि ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर करेंगे? उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ‘वक्फ बाई यूजर’ के मुद्दे पर जवाब मांगा है। आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून पर रोक की मांग पर कोई सुनवाई नहीं होगी।अब अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।

वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि यह कानून धर्म की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) और धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 26) के खिलाफ है। अगर कोई अपनी संपत्ति वक्फ को देना चाहता है तो उसे क्यों साबित करना चाहिए कि वह कम से कम 5 साल से मुस्लिम है। अगर मैं मुस्लिम पैदा हुआ तो मुझे यह क्यों साबित करना होगा। उन्होंने कहा कि नए कानून की धारा 3(ए)(2) के तहत वक्फ-अल-औलाद के गठन से महिलाओं को विरासत से वंचित नहीं किया जा सकता है। इस बारे में कहने वाला राज्य कौन होता है?

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंदुओं के लिए भी संसद ने कानून बनाया है। संसद ने मुसलमानों के लिए भी कानून बनाया है। अनुच्छेद 26 धर्मनिरपेक्ष है, जो सभी समुदायों पर लागू होता है। कपिल सिब्बल ने कहा कि इस्लाम में मृत्यु के बाद उत्तराधिकार मिलता है, लेकिन यह उससे पहले ही हस्तक्षेप कर रहे हैं। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में दूसरे धर्म के मेंबर होने की व्यवस्था के खिलाफ सिब्बल ने दलील दी कि यह संविधान में अनुच्छेद 26 में दिए हुए धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है। कपिल सिब्बल ने दलील दी कि नए वक्फ कानून के मुताबिक संरक्षित स्मारक की वक्फ की घोषणा अवैध होगी। मैं इसका विरोध कर रहा हूं। इसपर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे कितने मामले होंगे? मेरी समझ में यह तो आपके पक्ष में है। अगर इसे प्राचीन स्मारक घोषित किए जाने से पहले वक्फ घोषित किया गया है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह वक्फ ही रहेगा। तब तक आपको आपत्ति नहीं करनी चाहिए जब तक कि इसे संरक्षित घोषित किए जाने के बाद वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता।

कपिल सिब्बल ने वक्फ काउंसिल और बोर्ड के गैर मुस्लिमों को भी शामिल किए जाने पर एतराज जताते हुए कहा कि अब तक सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोग इनका हिस्सा रहे हैं। दूसरे धर्म की दान से जुड़ी संपत्तियों के मामले में भी यही व्यवस्था रही है। यह नया कानून 20 करोड़ लोगों के साथ ज्यादती है।

सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने कहा कि वक्फ इस्लाम का आवश्यक और अभिन्न अंग है। धर्म विशेष रूप से दान इस्लाम का आवश्यक और अभिन्न अंग है। अभिषेक मनु सिंघवी ने पुराने वक्फ प्रावधान को खत्म किए जाने पर सवाल उठाया। सिंघवी ने कहा कि आठ लाख में से 4 लाख प्रॉपर्टी सिर्फ इस्तेमाल के आधार पर वक्फ बनी है। उन्होंने कानून के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक की मांग की और कहा कि उन प्रावधानों पर तत्काल रोक लगाए जाने की जरूरत है।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल से पूछा, कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें है, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर करेंगे। उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? आप चाहते हैं कि वो आपको सेल डीड दिखाएं, कहां से दिखाएंगे। ऐसे वक्फ को खारिज कर देने पर विवाद ज्यादा लंबा चलेगा। हम यह जानते हैं कि पुराने कानून का कुछ गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ वास्तविक वक्फ संपत्तियां हैं, जिनके इस्तेमाल के दौरान लंबे समय से वक्फ संपत्ति के तौर पर पहचान हुई। वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी।

सॉलिसिटर जनरल ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा, नया वक्फ कानून विस्तृत जेपीसी की संस्तुतियों और संसदीय बहस के बाद सदन में पारित होने के बाद बना है। जेपीसी में भी चर्चा हुई। JPC ने 38 बैठकें कीं। प्रमुख शहरों का दौरा किया और परामर्श किया गया। 29 लाख सुझावों पर गौर किया गया।

मुख्य न्यायाधीश ने पूछा हिंदुओं के दान कानून के मुताबिक, कोई भी बाहरी बोर्ड का हिस्सा नहीं हो सकता है। वक्फ प्रॉपर्टी है या नहीं है, इसका फैसला अदालत को क्यों नहीं करने देते। सॉलिसिटर जनरल बोले , वक्फ का रजिस्ट्रेशन हमेशा अनिवार्य रहेगा। 1995 के कानून में भी ये जरूरी था। सिब्बल साहब कह रहे हैं कि मुतवल्ली को जेल जाना पड़ेगा। अगर वक्फ का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो वह जेल जाएगा। यह 1995 से है।

जस्टिस विश्नाथन- हिंदू एक्ट कहता है कि चैरिटेबल ट्रस्ट की देखरेख हिंदू करेगा। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा, मैं कोई उदाहरण नहीं दे रहा हूं। मैं केवल एक वैधानिक कमेटी की बात कर रहा हूं, जो नजर रखेगी। इसमें मुस्लिम मेंबर्स हो भी सकते हैं और नहीं भी।

सुप्रीम कोर्ट में जिन दस याचिकाओं पर सुनवाई होनी है, उन्हें एमआइएमआइएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी, दिल्ली के आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्ला खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज कुमार झा ने दायर किया है।

 

On the petitions filed against the Wakf Act in the Supreme Court Hearing begins: Court asks Central Government to resolve ‘Waqf by User’ issue But the reply was sought: Next hearing on Thursday

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू:कोर्ट ने केंद्र सरकार से ‘वक्फ बाई यूजर’ के मुद्दे पर जवाब मांगा: अगली सुनवाई गुरुवार को

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