November 5, 2025

दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता, हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। और हमें मिलकर भारत के इस दुश्मन को, निर्भरता वाले दुश्मन को हराना ही होगा: प्रधानमंत्री मोदी,

Gujrat 20 September 2025,

भावनगर, गुजरात में ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ये कार्यक्रम तो भावनगर में हो रहा है, लेकिन ये कार्यक्रम पूरे हिन्दुस्तान का है। आज भावनगर निमित्त है और पूरे भारत में “समुद्र से समृद्धि’ की ओर जाने की हमारी दिशा क्या है, उसके लिए आज इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का केंद्र भावनगर चुना गया है। गुजरात के लोगों को, भावनगर के लोगों को बहुत-बहुत बधाई।

‌ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, 21वीं सदी का भारत, आज समुद्र को बहुत बड़े अवसर के रूप में देख रहा है। थोड़ी देर पहले, यहां पोर्ट-लेड डेवलपमेंट को गति देने के लिए, हज़ारों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और उद्घाटन किया गया है। देश में क्रूज टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए आज मुंबई में इंटरनेशनल क्रूज टर्मिनल का भी लोकार्पण किया गया है। भावनगर के, गुजरात के विकास से जुड़े अनेक प्रोजेक्ट्स भी शुरू हुए हैं। मैं सभी देशवासियों को और गुजरात के लोगों को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

उन्होंने जोर देकर कहा, भारत आज विश्व-बंधु की भावना से आगे बढ़ रहा है। दुनिया में हमारा कोई बड़ा दुश्मन नहीं है। सच्चे अर्थ में अगर हमारा कोई दुश्मन है तो वो है- दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता। यहीं हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। और हमें मिलकर भारत के इस दुश्मन को, निर्भरता वाले दुश्मन को हराना ही होगा। हमें ये बात हमेशा दोहरानी है, जितनी ज्यादा विदेशी निर्भरता, उतनी ज्यादा देश की विफलता, विश्व में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए, दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश को आत्मनिर्भर बनना ही होगा। हम दूसरों पर आश्रित रहेंगे, तो हमारा आत्म-सम्मान भी चोटिल होगा। 140 करोड़ देशवासियों के भविष्य को हम दूसरों पर नहीं छोड़ सकते, देश के विकास के संकल्प को हम दूसरों की निर्भरता पर नहीं छोड़ सकते, हम भावी पीढ़ी के भविष्य को दांव पर नहीं लगा सकते।

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस की आर्थिक और विदेशी नीतियों की आलोचना करते हुए कहा, कांग्रेस सरकार ने देश को लाइसेंस कोटा राज में उलझाए रखा, दुनिया के बाजार से अलग-थलग रखा। और फिर जब ग्लोबलाइज़ेशन का दौर आया, तो सिर्फ इंपोर्ट का ही रास्ता पकड़ लिया गया। और उसमें भी हजारों-लाखों करोड़ों के घोटाले कर दिए गए। कांग्रेस सरकारों की इन नीतियों ने देश के नौजवानों का बहुत नुकसान किया। इन नीतियों ने भारत की असली ताकत को सामने आने से रोक दिया?

देश का कितना नकुसान हुआ है? इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण, हमारा शिपिंग सेक्टर है। भारत सदियों से दुनिया की एक बड़ी समुद्री ताकत था, हम दुनिया में शिप बिल्डिंग के सबसे बड़े सेंटर हुआ करते थे। भारत के तटीय राज्यों में बने जहाज़, देश और दुनिया के व्यापार-कारोबार को गति देते थे। यहां तक कि आज से 50 साल पहले तक भी हम भारत में बने जहाजों का उपयोग करते थे। उस दौर में भारत का चालीस प्रतिशत, 40 परसेंट से अधिक इंपोर्ट-एक्सपोर्ट, देश में ही बने जहाज़ों से होता था। लेकिन फिर, देश का शिपिंग सेक्टर भी कांग्रेस की कुनीतियों का शिकार हो गया। कांग्रेस ने भारत में जहाज़ निर्माण पर जोर देने के बजाय, विदेशी जहाज़ों को किराया-भाड़ा देना बेहतर समझा। इससे भारत में शिप-बिल्डिंग इकोसिस्टम ठप हो गया, विदेशी जहाज़ों पर निर्भरता ये हमारी मजबूरी बन गया। परिणाम ये हुआ कि 50 साल पहले जहां चालीस परसेंट व्यापार, भारतीय जहाज़ों पर होता था, वो हिस्सा घटकर सिर्फ पांच परसेंट रह गया। यानी 95 फीसदी ट्रेड के लिए हम विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गए। विदेशी जहाजों पर इस निर्भरता का हमें बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।

प्रधानमंत्री ने कुछ आंकड़े पेश कर हैरानी जताते हुए कहा, आज भारत हर साल, करीब 75 बिलियन डॉलर यानी लगभग छह लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को शिपिंग सर्विसेस के लिए देता है, किराया देता है। ये आज भारत का जितना डिफेंस बजट है, करीब-करीब उतना पैसा किराये में दिया जा रहा है। कल्पना कीजिए, सात दशकों में कितना पैसा हमने सिर्फ भाड़े के रूप में दूसरे देशों को दिया है। हमारे पैसों से विदेशों में लाखों नौकरियां बनी हैं। सोचिए, इतने सारे पैसे का, अगर एक छोटा सा हिस्सा भी अगर पहले की सरकारें, अपनी शिपिंग इंडस्ट्री पर लगातीं, तो आज दुनिया हमारे जहाज़ इस्तेमाल कर रही होती, हमें लाखों-करोड़ रूपए शिपिंग सर्विसेस के रूप में मिल रहे होते।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिपिंग सेक्टर की उपलब्धियां की ओर ध्यान दिलाते हुए बताया कि, पोर्ट लेड डेवलपमेंट को लेकर 11 साल पहले जो लक्ष्य हमने तय किए थे, भारत उनमें जबरदस्त सफलताएं हासिल कर रहा है। हम देश में, बड़े-बड़े जहाज़ों के लिए बड़े पोर्ट्स बना रहे हैं, सागरमाला जैसी स्कीम्स से पोर्ट्स की कनेक्टिविटी को बढ़ा रहे हैं। बीते 11 साल में भारत ने अपनी पोर्ट कैपेसिटी दोगुनी कर ली है। 2014 से पहले भारत में शिप टर्न अराउंड टाइम औसतन 2 दिन होता था। अब आज भारत में शिप टर्न अराउंड टाइम एक दिन से भी कम हो गया है। हम देश में नए और बड़े पोर्ट्स का निर्माण भी कर रहे हैं। हाल में ही केरल में, देश का पहला डीप वॉटर कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट शुरु किया है। 75 हजार करोड़ से ज्यादा की लागत से महाराष्ट्र में वाढवण पोर्ट बन रहा है। ये दुनिया के टॉप टेन पोर्ट्स में से एक होगा।आज समुद्री रास्ते से होने वाले ट्रेड में भारत का हिस्सा सिर्फ 10 परसेंट है। हमें इसे और बढ़ाना है, हम 2047 तक, दुनिया के समुद्री व्यापार में अपनी हिस्सेदारी को लगभग तीन गुणा तक बढ़ाना चाहते हैं। और ये हम करके दिखाएंगे।

कार्यक्रम में गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मेरे साथी सर्बानंद सोनोवाल जी, सीआर पाटिल, मनसुख भाई मांडविया, शांतनु ठाकुर, निमुबेन बाभंणिया, उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में मेजर पोर्ट्स के अधिकारियों सहित देश के 40 से ज्यादा स्थानों से अलग-अलग राज्यों के मंत्रिगणों ने वर्चुअली जुड़कर भागीदारी सुनिश्चित की।

 

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