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मन की बात की 121वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने आतंकी हमलों के पीड़ित परिवारों को दिलाया भरोसा: उन्हें न्याय मिलेगा, हमले के दोषियों और साजिश रचने वालों को कठोरतम् जवाब दिया जाएगा। - Separato Spot Witness Times
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मन की बात की 121वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने आतंकी हमलों के पीड़ित परिवारों को दिलाया भरोसा: उन्हें न्याय मिलेगा, हमले के दोषियों और साजिश रचने वालों को कठोरतम् जवाब दिया जाएगा।

दिल्ली , मन की बात की 121वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में गहरी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई आतंकी वारदात ने देश के हर नागरिक को दुख पहुँचाया है। पीड़ित परिवारों के प्रति हर भारतीय के मन में गहरी संवेदना है। पहलगाम में हुआ ये हमला, आतंक के सरपरस्तों की हताशा को दिखाता है, उनकी कायरता को दिखाता है। ऐसे समय में जब कश्मीर में शांति लौट रही थी, स्कूल-कॉलेजों में एक vibrancy थी, निर्माण कार्यों में अभूतपूर्व गति आई थी, लोकतंत्र मजबूत हो रहा था। देश के दुश्मनों को, जम्मू-कश्मीर के दुश्मनों को, ये रास नहीं आया। और इसलिए इतनी बड़ी साजिश को अंजाम दिया।

आतंकवाद के खिलाफ इस युद्ध में देश की एकता, 140 करोड़ भारतीयों की एकजुटता, हमारी सबसे बड़ी ताकत है। यही एकता, आतंकवाद के खिलाफ हमारी निर्णायक लड़ाई का आधार है। हमें देश के सामने आई इस चुनौती का सामना करने के लिए अपने संकल्पों को मजबूत करना है। हमें एक राष्ट्र के रूप में दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करना है। आतंकी हमले की सब ने कठोर निंदा की है। पूरा विश्व, आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में, 140 करोड़ भारतीयों के साथ खड़ा है। मैं पीड़ित परिवारों को फिर भरोसा देता हूँ कि उन्हें न्याय मिलेगा, न्याय मिलकर रहेगा। इस हमले के दोषियों और साजिश रचने वालों को कठोरतम् जवाब दिया जाएगा।

दो दिन पहले हमने देश के महान वैज्ञानिक डॉ० के. कस्तूरीरंगन जी को खो दिया है। कस्तूरीरंगन जी को विज्ञान, शिक्षा और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाई देने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके नेतृत्व में ISRO को एक नई पहचान मिली। उनके मार्गदर्शन में जो space programme आगे बढ़े, उससे भारत के प्रयासों को global मान्यता मिली। डॉ० के. कस्तूरीरंगन जी ने देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। मैं डॉ० के. कस्तूरीरंगन जी को विनम्र भाव से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।

मन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा, आर्यभट्ट Satellite की launching के 50 वर्ष पूरे हुए हैं। ISRO ने सफल लम्बी दूरी तय की है। आज भारत एक Global Space Power बन चुका है। हमने एक साथ 104 Satellite का Launch करके Record बनाया है। हम चंद्रमा के South Pole पर पहुँचने वाले पहले देश बने हैं। भारत ने Mars Orbiter Mission Launch किया है और हम आदित्य – L1 Mission के जरिए सूरज के काफी करीब तक पहुंचे हैं। आज भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा cost effective लेकिन Successful Space Program का नेतृत्व कर रहा है। दुनिया के कई देश अपनी Satellites और Space Mission के लिए ISRO की मदद लेते हैं।

हम जब ISRO द्वारा किसी Satellite का launch देखते हैं तो हम गर्व से भर जाते हैं। ऐसी ही अनुभूति मुझे तब हुई जब मैं 2014 में PSLV-C-23 की launching का साक्षी बना था। 2019 में Chandrayaan-2 की landing के दौरान भी, मैं बेंगलुरू के ISRO Center में मौजूद था। उस समय Chandrayaan को वो अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी, तब वैज्ञानिकों के लिए, वो, बहुत मुश्किल घड़ी थी। लेकिन मैं अपनी आंखों से वैज्ञानिकों के धैर्य और कुछ कर गुजरने का जज्बा भी देख रहा था। कुछ साल बाद पूरी दुनिया ने भी देखा कैसे उन्हीं वैज्ञानिकों ने Chandrayaan-3 को सफल करके दिखाया।

आज देश में, सवा तीन सौ से ज्यादा Space Startup काम कर रहे हैं। आने वाला समय Space में बहुत सारी नई संभावनाएं लेकर आ रहा है। देश गगनयान, SpaDeX और Chandrayaan-4 जैसे कई अहम् मिशन की तैयारियों में जुटा है। हम Venus Orbiter Mission और Mars Lander Mission पर भी काम कर रहे हैं। हमारे Space Scientists अपने Innovations से देशवासियों को नए गर्व से भरने वाले हैं।

प्रधानमन्त्री मोदी ने पिछले महीने म्यांमार में आए भूकंप की त्रासदी का जिक्र करते हुए कहा, भूकंप से वहाँ बहुत बड़ी तबाही आई, मलबे में फंसे लोगों के लिए एक-एक सांस, एक-एक पल कीमती था। इसलिए भारत ने म्यांमार के हमारे भाई-बहनों के लिए तुरंत Operation Brahma शुरू किया। Air force के aircraft से लेकर Navy के ships तक म्यांमार की मदद के लिए रवाना हो गए। वहाँ भारतीय टीम ने एक field hospital तैयार किया। इंजीनियरों की एक टीम ने अहम् इमारतों और infrastructures को हुए नुकसान का आकलन करने में मदद की। भारतीय team ने वहां कंबल, tent, sleeping bags, दवाइयां, खाने-पीने के सामान के साथ ही और भी बहुत सारी चीजों की supply की। इस दौरान भारतीय टीम को वहाँ के लोगों से बहुत सारी तारीफ भी मिली।

‌ कुछ ही दिन पहले भारत ने अफगानिस्तान के लोगों के लिए बड़ी मात्रा में vaccine भी भेजी है। ये Vaccine, Rabies, Tetanus, Hepatitis B और Influenza जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाव में काम आएगी। भारत ने इसी हफ्ते नेपाल के आग्रह पर वहाँ दवाईयाँ और vaccine की बड़ी खेप भेजी है। इनसे thalassemia और sickle cell disease के मरीजों को बेहतर इलाज सुनिश्चित होगा। जब भी मानवता की सेवा की बात आती है, तो भारत, हमेशा इसमें आगे रहता है और भविष्य में भी ऐसी हर जरूरत में हमेशा आगे रहेगा।

‌‌ प्रधानमन्त्री मोदी ने, साल 1917 में देश में आजादी की एक अनोखी लड़ाई का उल्लेख किया।अंग्रेजों के अत्याचार उफान पर थे। गरीबों, वंचितों और किसानों का शोषण अमानवीय स्तर को भी पार कर चुका था। बिहार की उपजाऊ धरती पर ये अंग्रेज किसानों को नील की खेती के लिए मजबूर कर रहे थे। नील की खेती से किसानों के खेत बंजर हो रहे थे, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत को इससे कोई मतलब नहीं था। ऐसे हालात में, 1917 में महात्मा गांधी जी बिहार के चंपारण पहुंचे हैं। किसानों ने गांधी जी को बताया – हमारी जमीन मर रही है, खाने के लिए अनाज नहीं मिल रहा है। लाखों किसानों की उस पीड़ा से गांधी जी के मन में एक संकल्प उठा। वहीं से चंपारण का ऐतिहासिक सत्याग्रह शुरू हुआ। ‘चंपारण सत्याग्रह’ ये बापू द्वारा भारत में पहला बड़ा प्रयोग था। बापू के सत्याग्रह से पूरी अंग्रेज हुकूमत हिल गई। अंग्रेजों को नील की खेती के लिए किसानों को मजबूर करने वाले कानून को स्थगित करना पड़ा। ये एक ऐसी जीत थी जिसने आजादी की लड़ाई में नया विश्वास फूंका। आप सब जानते होंगें इस सत्याग्रह में बड़ा योगदान बिहार के एक और सपूत का भी था, जो आजादी के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने। वो महान विभूति थे – डॉ० राजेन्द्र प्रसाद। उन्होंने ‘चंपारण सत्याग्रह’ पर एक किताब भी लिखी – ‘Satyagraha in Champaran।

प्रधानमन्त्री मोदी ने स्मरण कराया कि, अप्रैल में ही स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई के कई और अमिट अध्याय जुड़े हुए हैं। अप्रैल की 6 तारीख को ही गांधी जी की ‘दांडी यात्रा’ संपन्न हुई थी। 12 मार्च से शुरू होकर 24 दिनों तक चली इस यात्रा ने अंग्रेजों को झकझोर कर रख दिया था। अप्रैल में ही जलियाँवाला बाग नरसंहार हुआ था। पंजाब की धरती पर इस रक्तरंजित इतिहास के निशान आज भी मौजूद हैं। 10 मई को, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वर्षगांठ भी आने वाली है। आज़ादी की उस पहली लड़ाई में जो चिंगारी उठी थी, वो आगे चलकर लाखों सेनानियों के लिए मशाल बन गई। अभी 26 अप्रैल को हमने 1857 की क्रांति के महान नायक बाबू वीर कुंवर सिंह जी की पुण्यतिथि भी मनाई है। बिहार के महान सेनानी से पूरे देश को प्रेरणा मिलती है। हमें ऐसे ही लाखों स्वतंत्रा सेनानियों की अमर प्रेरणाओं को जीवित रखना है। हमें उनसे जो ऊर्जा मिलती है, वो अमृतकाल के हमारे संकल्पों को नई मजबूती देती है।

 

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