राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपतटीय खनन की अनुमति देने वाली निविदाओं को रद्द किए जाने के संबंध में लिखा पत्र,
दिल्ली, 31 March 2025
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने केरल, गुजरात और अंडमान एवं निकोबार में निजी कंपनियों को अपतटीय खनन की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी निंदा की है। कांग्रेस नेता ने समुद्री जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव , लाखों मछुआरों की आजीविका और जीवन शैली पर पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन किए बगैर अपतटीय खनन ब्लॉक को निजी कंपनियों के लिए खोलना चिंताजनक बताया है।उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर अपतटीय खनन की अनुमति देने वाली निविदाओं को रद्द किए जाने की मांग की है
राहुल गांधी ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र का बीते रविवार को व्हाट्सऐप’ चैनल पर साझा कर कहा, ”मैंने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर केरल, गुजरात और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में स्थानीय हितधारकों से परामर्श किए बिना या पर्यावरण संबंधी अध्ययन किए बिना अपतटीय खनन के लिए दी गई अनुमति की निंदा की है।
उन्होंने कहा कि, अपतटीय खनन लाखों मछुआरों की आजीविका को प्रभावित करेगा और हमारे विविध समुद्री जीवन को अपूरणीय क्षति पहुंचाएगा। इसके प्रभाव का उचित आकलन किए बिना निजी कंपनियों के लिए अपतटीय खनन ब्लॉक खोलना चिंताजनक है।
पत्र में कांग्रेस नेता ने उल्लेख किया कि, जिन अपतटीय 13 ब्लाकों में खनन की अनुमति दी गई है, उसमें से मछली प्रजनन के लिए अहम स्थान कोल्लम के तट पर रेत उत्खनन के लिए तीन ब्लॉक और समुद्री जैव विविधता के केंद्र ग्रेट निकोबार द्वीप समूह के तट पर ‘पॉलीमेटेलिक नॉड्यूल’ के तीन ब्लॉक शामिल हैं। राहुल गांधी ने बताया कि, केरल विश्वविद्यालय के जलीय जीव विज्ञान एवं मत्स्य विभाग की समुद्री निगरानी प्रयोगशाला (एमएमएल) की सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक अपतटीय खनन से विशेष रूप से कोल्लम में मछली प्रजनन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि केरल में 11 लाख से अधिक लोग मछली पकड़ने के व्यवसाय पर निर्भर हैं, यह उनका पारंपरिक व्यवसाय है और यह उनकी जीवनशैली से बहुत करीब से जुड़ा हुआ है। ‘ग्रेट निकोबार’ को विविध पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिए वैश्विक स्तर पर जाना जाता है और यह वन्यजीवों की कई स्थानीय प्रजातियों का आवास है। उन्होंने कहा, ”अपतटीय खनन के कारण होने वाला कोई भी नुकसान अपूरणीय क्षति कर सकता है। हमारे तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण ने चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को और अधिक बढ़ा दिया है। राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि, ऐसे में यह चिंताजनक है कि सरकार वैज्ञानिक आकलन के बिना जानबूझकर ऐसी गतिविधियों को हरी झंडी दे रही है?
