December 15, 2025

सुभारती कॉलेज से रू 87.50 करोड़ की होगी वसूली: जिला प्रशासन ने की कुर्की प्रक्रिया प्रारंभ,

Dehradun 14 December 2025,

देहरादून जिला प्रशासन करेगा। इसके लिए प्रशासन ने वसूली वारंट जारी किया है। सुभारती कॉलेज में राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद एनएमसी के मानकों के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने के बावजूद सुभारती कॉलेज ने 6 वर्षों से 300 मेडिकल छात्रों से पूर्ण शुल्क की वसूली की थी। जिसमें राज्य सरकार पर अनापेक्षित वित्तीय भार आ गया था। इस वित्तीय भार (जुर्माना) की पूर्ण वसूली करने के लिए चिकित्सा शिक्षा निदेशक द्वारा जिलाधिकारी देहरादून से सिफारिश की गई है।

जिले के बड़े बकायेदारों के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत जिला प्रशासन देहरादून ने सुभारती समूह पर वसूली की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। जिलाधिकारी सविंन बंसल के निर्देशों के अनुपालन में लंबित बकाया वसूली के तहत रू 87.50 करोड़ की कुर्की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। जिलाधिकारी ने सुभारती समूह से बकाया राजस्व वसूली सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जिला प्रशासन का कहना है कि भविष्य में भी किसी बड़े या छोटे बकायेदार को बकाया राशि न जमा करने पर कानूनी कार्रवाई से नहीं बख्शा जाएगा। जनपद में राजस्व वसूली को गति देने तथा सरकारी धन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह कार्यवाही कर कड़ा संदेश दिया है।

बता दें कि शैक्षणिक सत्र 2017-18 में प्रवेश पाये द्वितीय बैच के कुल 74 छात्रों द्वारा उच्चतम न्यायालय में एवं रिट याचिका (सिविल) दायर की गई थी। जिसमें में छात्रों की ओर से संस्थान में संरचना उपलब्ध नहीं है, से लगातार शिक्षा प्राप्त नही कर सकते है। याचिका में तत्कालीन एम.सी.आई. (वर्तमान राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद एनएमसी) द्वारा अपने तथ्य रखे गये थे और याचिका में यह प्रश्न था कि छात्रों को अन्य संस्थान में प्रवेश देकर स्थांतरित किया जायें। वर्ष 2019 में उच्चतम न्यायालय ने यह निर्देश दिया गया था कि 300 छात्राओं को राज्य के तीन राजकीय मेडिकल कॉलेजों में स्थांतरित किया जाये। उच्चतम न्यायालय ने यह भी आदेश दिया गया था कि यह छात्र केवल राजकीय मेडिकल कॉलेज में लागू फीस का ही भुगतान करेगे। उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश को 12 अप्रैल 2019 के आदेश में पुनः पुष्ट किया गया था। श्रीदेव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज में इन सभी 300 छात्राओं को राजकीय मेडिकल कॉलेजों में समायोजित किये जाने हेतु लगभग एक नये मेडिकल कॉलेज को खोलने के अनुरूप अपेक्षित संरचना स्थापित करने की आवश्यकता थी, जिसमें राज्य सरकार पर अनापेक्षित वित्तीय भार आ गया था, जबकि उक्त संस्था द्वारा इन छात्रों से शुल्क बिना किसी काम के संग्रहित किया गया था। राज्य सरकार पर आए इस वित्तीय भार की प्रतिपूर्ति और संस्थान द्वारा की गई वित्तीय अनियमितता के दृष्टिगत निर्देशक चिकित्सालय ने सुभारती कॉलेज से रू 87.50 करोड़ की वसूली किए जाने के लिए जिलाधिकारी देहरादून से सिफारिश की थी।

 

 

 

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