Dehradun , 03 Jun 2025,
यूक्रेन और रूस के बीच चल रहा युद्ध की अब तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ने की संभावना बलवती होती जा रही है। 2 जून को रूस के कई सामरिक हवाई ठिकानों पर यूक्रेन ने बड़ा हमला कर दिया है।
यूक्रेन ने यह हमला रूस की जमीन से ही रूसी एयरबेस ओलेन्या, मरमंस्क, इरकुत्स्क और साइबेरिया के क्षेत्रों में सामरिक महत्व के स्थानों पर किया है।इन ऑपरेशन्स को यूक्रेन की स्पेशल फोर्सेज ने अंजाम दिया। यूक्रेन ने इन हमलों के लिए करीब 100 से ज्यादा ड्रोन का इस्तेमाल किया, जो बहुत ही ख़ास कंटेनरों से लॉन्च किए गए। हमलों में रूस के लगभग 41 बमवर्षक विमानों, एयर डिफेंस सिस्टम, एयर बेस को भारी नुकसान हुआ है । इसके साथ रूस के सामरिक परमाणु हमलों की कार्यक्षमता पर भी गंभीर रूप से प्रभाव पड़ा है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने खुले तौर पर इसकी जिम्मेदारी ली। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि इस हमले में किसी भी नाटो देश के हथियार या समर्थन का प्रयोग नहीं हुआ है।यूक्रेन ने हाई-रेजोल्यूशन कमर्शियल सैटेलाइट इमेज का इस्तेमाल कर खुले में खड़े रूसी बमवर्षकों पर निशाना साधा। है।
रूस ने बीते रविवार 1 जून को यूक्रेन पर लगभग 400 से ज्यादा ड्रोन हमले किए, जो जवाबी कार्रवाई मानी जा रही है। इसके अलावा, रूस ने ओरेशनिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों का प्रयोग करने के साफ़ संकेत दे दिए हैं। बयान को पश्चिमी सहयोगियों और विशेषकर अमेरिका और नाटो के लिए एक सीधी धमकी माना जा रहा है। रूस के 400 से ज्यादा ड्रोन हमले के जवाब में यूक्रेन ने 2 जून को रूस के कई सामरिक हवाई ठिकानों पर 100 से ज्यादा ड्रोन से बड़ा हमला किया है।
ओरेशनिक वारहेड्स रूस की हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं। जो कि किसी भी देश के मौजूदा एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर बेहद तेज़ और सटीक हमले करने में सक्षम हैं। यह ध्वनि की गति से 5 गुना अधिक तेज चलते हैं। रूस के पास ऐसे “ओरेशनिक वारहेड्स” हैं जो 3 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से उड़ते हैं और टार्गेट पर गिरते समय उनका तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। जोकि लगभग सूर्य की सतह के तापमान के बराबर है। इसके बाद टार्गेट प्वाइंट राख का ढेर बन जाता है। अगर पुतिन यूक्रेन पर ओरेशनिक वारहेड्स से हमला करते हैं तो यह दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध में भी धकेल सकता है। पुतिन के इस बयान के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और नाटो बेहद चिंतित हो गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन का यह संदेश सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की रणनीति भी है। संयुक्त राष्ट्र समेत कई यूरोपीय देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और युद्ध को और आगे बढ़ने से रोकने की अपील की है।