भारत ने हाल ही में खत्म हुए पेरिस ओलंपिक-2024 में निशानेबाजी में सबसे ज्यादा तीन मेडल अपने नाम किए। इनमें से दो मेडल मनु भाकर ने जीते और उनके कोच जसपाल राणा ने खेलों के महाकुंभ के खत्म होने के बाद शूटिंग एसोसिएशन की सेलेक्शन पॉलिसी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि वह बदलाव के खिलाफ नहीं है लेकिन सेलेक्शन में निरंतरता काफी जरूरी है।
पेरिस ओलंपिक में दो कांस्य पदक जीत कर इतिहास रचने वाली निशानेबाज मनु भाकर के निजी कोच जसपाल राणा ने भारतीय राष्ट्रीय राइफल महासंघ (एनआरएआई) की लगातार बदलती ओलंपिक चयन नीति की आलोचना की है। राणा ने कहा कि इससे अतीत में कुछ सबसे होनहार प्रतिभाओं को नुकसान हुआ है और अगर इसमें सुधार नहीं किया गया तो आगे भी ऐसा होता रहेगा
एशियाई खेल 2006 में तीन स्वर्ण पदक जीतने वाले राणा ने कहा, महासंघ की चयन नीति हर छह महीने में बदलती है। मैंने खेल मंत्री से मुलाकात करके इस पर उनसे बात की। उन्हें निर्णय लेने दें। वे जो भी निर्णय लेते हैं, सही या गलत, हम उस पर चर्चा नहीं कर रहे हैं, और फिर उस पर कायम रहो। आप इसके बाद निशानेबाजों के प्रदर्शन में अंतर देखेंगे।
राणा ने कहा कि आज सौरभ चौधरी कहां हैं, जीतू राय कहां हैं? क्या कोई उनके बारे में बात करता है? नहीं। क्या हम (10 मीटर एयर राइफल निशानेबाज) अर्जुन बबूता के बारे में बात कर रहे हैं, जो पेरिस में चौथे स्थान पर रहे थे। वह मामूली अंतर से पदक से चूक गए थे। क्या कोई उनकी सुध ले रहा है।
राणा ने कहा कि वह बदलाव के विरुद्ध नहीं हैं, लेकिन ओलंपिक चक्र के दौरान अधिक निरंतरता बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अभी हमारे पास ओलंपिक और विश्व कप के पदक विजेताओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई तंत्र नहीं है। हम ओलंपिक पदक विजेताओं को लंबे समय तक नहीं देखते क्योंकि हमारे पास उन्हें स्थायित्व प्रदान करने के लिए कोई प्रणाली नहीं है।
हाल ही में खत्म हुए पेरिस ओलंपिक-2024 में भारत ने निशानेबाजी में सबसे ज्यादा तीन मेडल जीते। मनु ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल के सिंगल्स इवेंट में ब्रॉन्ज जीता था। वहीं इसी इवेंट के मिक्स्ड टीम कॉम्पटीशन में मनु ने सरपबजोत सिंह के साथ मिलकर ब्रॉन्ज अपने नाम किया था। वहीं स्वप्निल कुसाले ने पुरुषों की 50 मीटर राइफल 3 पोजिशंस में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था।