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सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर पर गुरुवार को भी बहस जारी रहेगी। - Separato Spot Witness Times
निर्वाचन न्यायालय राष्ट्रीय समाचार

सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर पर गुरुवार को भी बहस जारी रहेगी।

Delhi 13 August 2025,

सुप्रीम कोर्ट में बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण एसआईआर को लेकर निर्वाचन आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज भी सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ में सुनवाई की गई।

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि अधिनियम विशेष गहन पुनरीक्षण की बात नहीं करता है। नियमों में ‘नए सिरे से’ शब्द है – जिसका अर्थ है तैयारी, पुनरीक्षण नहीं। मतदाता सूची एक बार निर्धारित होने के बाद, हमेशा निर्धारित ही रहती है।

जस्टिस बागची ने कहा कि हो सकता है कि ‘गहन’ शब्द ‘उचित समझे जाने वाले तरीके’ के आधार पर विश्लेषण के रूप में जोड़ा गया हो। जस्टिस बागची ने कहा कि उन्होंने पहले की सूचियों को रद्द नहीं किया है। वे 2003 की सूची के अस्तित्व को पहले से ही मानते हैं। 2003 को एक मील का पत्थर माना जाता है।

गोपाल शंकरनारायण ने दलील दी कि, जैसा उचित समझा जाए का अर्थ है, क्या उप-धारा (3) चुनाव आयोग को शक्ति प्रदान करने से संबंधित है? क्या वह 2003 के चुनाव आयोग के नियमों को मिटाने के लिए इस तरह की कार्रवाई कर सकता है? यह धारा चुनाव आयोग को ऐसा करने की अनुमति नहीं देती। क्या कानून उन्हें ऐसा करने करने की अनुमति देता है?

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर ऐसा कभी नहीं किया जा सकता, तो उप-धारा (3) निरर्थक हो जाएगी। तैयारी और संक्षिप्त संशोधन ‘निर्धारित तरीके’ शब्द से परिभाषित होते हैं। समय और स्थान के संबंध में उप-धारा 3, उप-धारा 2 को तय करती है. यह चुनाव आयोग पर निर्भर करता है कि वह ‘कहां’ ऐसा करेगा। बिहार में पहले किए गए दस्तावेजों की संख्या सात थी।अब यह 11 है।

सुनवाई के दौरान एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर कोई दस्तावेज नहीं है तो हलफनामा देना होता है फॉर्म 6 में, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। कम अवधि में एसआईआर कराने से पहली, दूसरी और तीसरी अपील का कोई मतलब नहीं रह जाता। प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा, सुप्रीम कोर्ट को ऐसी बेतुकी शक्ति को संयमित करना चाहिए।

प्रशांत भूषण ने कहा कि, चुनाव आयोग इस तरह नागरिकता तय नहीं कर सकते। बड़ी संख्या में लोगों के पास एक भी दस्तावेज नहीं है। लगभग 40 फीसदी लोगों के पास केवल मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र है, लेकिन कुल मिलाकर, 50 फीसदी से ज्यादा लोगों के पास एक भी दस्तावेज़ नहीं है। प्रशांत भूषण ने सवाल उठाया कि, जब चुनाव आयोग अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करते हैं, तो चुनौती देने का समय नहीं होता है। क्योंकि चुनाव की तारीख नजदीक होती हैं। चुनाव आयोग पूरी तरह से मनमाने तरीके से अपना मतदान सूची का प्रकाशन कर अपना मकसद पूरा कर लेते हैं। प्रशांत भूषण ने 65 लाख हटाए गए मतदाताओं की सूची वेबसाइट पर नहीं डालने पर भी सवाल उठाया। भूषण ने कहा कि चुनाव आयोग नागरिकता पर फैसला नहीं उठा सकता है? इस मामले में गुरुवार को भी बहस जारी रहेगी।

 

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