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एसटीएफ साइबर क्राइम टीम उत्तराखंड ने उजागर किया करोड़ों के अंतरराष्ट्रीय पार्सल फ्रॉड का जाल - Separato Spot Witness Times
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एसटीएफ साइबर क्राइम टीम उत्तराखंड ने उजागर किया करोड़ों के अंतरराष्ट्रीय पार्सल फ्रॉड का जाल

मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशों एवं श्रीमान पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड, श्री दीपम सेठ के मार्गदर्शन में, साइबर पुलिस निरंतर लोगों के पैसे बचाने, जागरूकता अभियान चलाने और देश भर से गिरफ्तारियां करने में सक्रिय है। साथ ही, साइबर अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई कर साइबर पीड़ितों को न्याय दिलाने का काम भी प्रभावी रूप से किया जा रहा है। अभियोगों की समीक्षा ADG लॉ एवं आर्डर/साइबर डॉ. वी. मुरुगेसन तथा IG लॉ एवं आर्डर/साइबर डॉ. नीलेश आनंद भरने द्वारा समय-समय पर दिए जाने वाले दिशा-निर्देशों के अनुरूप की जाती है।*

*वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ, श्री नवनीत सिंह* द्वारा जानकारी दी गई कि एक प्रकरण देहरादून निवासी शिकायतकर्ता द्वारा माह जुलाई 2025 में शिकायत दर्ज कराया गया जिसमें शिकायतकर्ता द्वारा बताया कि फेसबुक पर एक महिला ने स्वयं को एम्स्टर्डम स्थित एक नामी फार्मा कंपनी की सीनियर मैनेजर बताते हुए मित्रता की। विश्वास जीतकर उसने नकली पार्सल भेजने का बहाना बनाया और Flota Logistics के नाम पर कस्टम स्कैनिंग, गोल्ड लाइसेंस, करेंसी कन्वर्ज़न, जीएसटी, बीमा, क्लियरेंस, और अन्य शुल्कों के बहाने लगातार ऑनलाइन भुगतान करवाए । परन्तु स्वयं के साथ हो रही साइबर फ्रॉड का अंदेशा नहीं हो पाया, जिससे पीड़ित द्वारा विभिन्न बैंक खातों में कई किस्तों में ₹24,88,400 स्थानांतरित किए गए। इसके बाद कथित “राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा” अधिकारियों और नकली पुलिसकर्मियों ने फर्जी केस निपटाने, नाम हटाने और फाइल आगे बढ़ाने के बहाने अतिरिक्त ₹4,10,250 अवैध रूप से प्राप्त किए। आरोपियों ने अनेक फर्जी मोबाइल नंबर, बैंक खाते और सरकारी पदनामों का दुरुपयोग करते हुए प्रलोभन एवं दबाव के माध्यम से पीड़ित को निशाना बनाकर संगठित साइबर धोखाधड़ी से कुल ₹28,98,650 की धोखाधड़ी की।

प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत *वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0 उत्तराखण्ड के दिशा निर्देशन में मामले का प्रवेक्षण अपर पुलिस अधीक्षक श्री स्वप्न किशोर, पुलिस उपाधीक्षक, श्री अंकुश मिश्रा एवं विवेचना निरीक्षक श्री आशीष गुसाई (Cyber Commando) साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन, देहरादून के सुपुर्द कर अभियोग के शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये ।* साइबर क्राइम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त मोबाइल नंबरों, बैंक खातों, व्हाट्सएप चैट, फेसबुक मैसेंजर वार्तालाप, पार्सल ट्रैकिंग डोमेन एवं संबंधित डिजिटल माध्यमों की जानकारी हेतु बैंकों, टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स, डोमेन होस्टिंग कंपनियों एवं मेटा कंपनी से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया। प्राप्त डेटा के विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ कि साइबर अपराधियों ने फर्जी अंतरराष्ट्रीय पार्सल भेजने का झांसा देकर एवं स्वयं को सरकारी अधिकारी/राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अधिकारी बताकर, पीड़ित से विभिन्न बैंक खातों में ₹28,98,650 की राशि स्थानांतरित करवाई।।

विवेचना के दौरान साईबर थाना पुलिस टीम द्वारा अभियोग में प्रकाश में आए मोबाइल नंबरों, बैंक खातों, व्हाट्सएप चैट, फेसबुक मैसेंजर वार्तालाप, पार्सल ट्रैकिंग डोमेन एवं संबंधित डिजिटल माध्यमों की जानकारी का सत्यापन किया गया । पुलिस टीम द्वारा तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर घटना के Colinus Ugochukwu Nwaemuka s/o Nwaemuka R/O IMO state Nigeria (नाइजीरियन नागरिक) को चिन्ह्ति करते हुये अभियुक्त की तलाश जारी की । साईबर टीम द्वारा बीएनएसएस के अन्तर्गत प्रकाश में आये अभियुक्त Colinus Ugochukwu Nwaemuka की तलाश दिल्ली जाकर की गयी व अग्रिम विवेचनात्मक कार्यवाही बीएनएसएस के अन्तर्गत की गई ।

*अपराध का तरीका*:
अभियुक्त द्वारा पहले फेसबुक पर नकली प्रोफ़ाइल बनाकर स्वयं को एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय कंपनी की सीनियर मैनेजर के रूप में प्रस्तुत किया। पीड़ित से मित्रता कर विश्वास हासिल किया और अंतरराष्ट्रीय पार्सल भेजने का बहाना बनाया। पार्सल ट्रैकिंग वेबसाइट एवं नकली कस्टम एजेंटों के माध्यम से स्कैनिंग शुल्क, गोल्ड लाइसेंस, करेंसी कन्वर्ज़न, बीमा, जीएसटी, क्लीयरेंस आदि के नाम पर कई बार धनराशि की मांग की गई।इसके बाद, आरोपियों ने “राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा” अधिकारी एवं पुलिसकर्मी बनकर पीड़ित को फर्जी केस में फंसाने, नाम हटाने और फाइल आगे बढ़ाने के बहाने अतिरिक्त राशि जमा करवाई। इस पूरे अपराध में अनेक फर्जी मोबाइल नंबर, बैंक खाते, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और पार्सल ट्रैकिंग डोमेन का प्रयोग किया गया, जिसके माध्यम से कुल ₹28,98,650 की ठगी को अंजाम दिया गया।

प्रारम्भिक पूछताछ में अभियुक्त ने साईबर अपराध हेतु जिस बैंक खातों का प्रयोग किया गया है उसमें मात्र कुछ माह में ही करोडो रूपयों का लेन-देन होना प्रकाश में आया है । जाँच में यह भी प्रकाश में आया है कि अभियुक्तगण के विरुद्ध देश के कई राज्यों में साईबर अपराधों में FIR व अन्य शिकायतें दर्ज हैं । जिसके सम्बन्ध में जानकारी हेतु अन्य राज्यों की पुलिस के साथ संपर्क किया जा रहा है ।

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