Delhi 22 August 2025,
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार के विशेष गहन पुनरीक्षण एसआईआर प्रकरण पर चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि, मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए मतदाताओं को ऑनलाइन माध्यम अथवा भौतिक रूप से भी दावा पेश करने वाले मतदाताओं की अनुमति दे। इसके साथ ही कोर्ट ने 11 दस्तावेज़ों के विकल्प के साथ आधार कार्ड को स्वीकार करने का चुनाव आयोग को निर्देश दिया। मामले अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूएसआईआरर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने राजनीतिक दलों को उन 65 लाख लोगों की मदद करने का भी निर्देश दिया, जिन्हें एसआईआर प्रक्रिया के दौरान मसौदा मतदाता सूची से बाहर रखा गया है। अदालत ने कहा सभी राजनीतिक दल अगली सुनवाई तक उस दावा प्रपत्र की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें, जिसमें उन्होंने मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए मतदाताओं को दर्ज करने में मदद की थी। पीठ ने ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि केवल दो आपत्तियाँ उठाई गईं, जबकि राजनीतिक दलों के 1.60 लाख से अधिक बीएलए हैं।
चुनाव आयोग ने कोर्ट से मसौदा मतदाता सूची में ऐसे मतदाताओं को शामिल करने के लिए 15 दिन का समय देने का आग्रह किया। आयोग ने बताया कि, कोई भी मतदाता सूची से बाहर नहीं रखा गया है। आयोग ने अदालत को यह भी बताया कि 85 हजार बहिष्कृत मतदाताओं ने अपने दावा प्रपत्र जमा कर दिए हैं। जबकि दो लाख से अधिक नए मतदाताओं ने मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन पत्र जमा कराएं हैं।
चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने अदालत से कहा, “राजनीतिक दल अनावश्यक शोर मचा रहे हैं। जबकि हालात इतने बुरे नहीं हैं। हमें कुछ और समय दें। हम आपको दिखा देंगे कि कोई भी नाम मतदाता सूची से बाहर नहीं है।
बिहार में पूर्व में पंजीकृत मतदाताओं की कुल संख्या पहले 7.24 करोड़ थी। बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया के बाद घटकर 7.9 करोड़ रह गई है। इतनी अधिक संख्या में मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से बाहर किए जाने के खिलाफ विपक्षियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर प्रकरण 14 अगस्त को चुनाव आयोग को एसआईआर अभियान की ‘पारदर्शिता’ सुनिश्चित करने के लिए 19 अगस्त तक मतदाता सूची से बाहर किए गए 65 लाख लोगों का विवरण प्रकाशित करने का निर्देश दिया था।