Delhi, 26 Jun 2025,
भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने अदालत के दस्तावेजों के रखरखाव और रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने की सीमा अवधि समाप्त होने के बाद उनको नष्ट करने संबंधी दिशा निर्देश जारी किए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्री विभागों में कई शाखाओं में प्रशासनिक अभिलेखों में अत्यधिक वृद्धि देखी गई है। जिससे अभिलेखों के प्रबंधन संबंधी कार्य भी प्रभावित हुए हैं।
दिशा-निर्देशों के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के हस्ताक्षर वाले मूल सबमिशन नोट्स या पेपर बुक को स्थायी रूप से संरक्षित किया जाए। इसके अलावा, नीति फाइलें, कार्यालय आदेश और परिपत्र फाइलें स्थायी रूप से संरक्षित की जाएं।
रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने की अवधि मध्यस्थता, मुकदमेबाजी, जांच या लेखा परीक्षा की अंतिम कार्रवाई या निपटान के बाद शुरू होगी। फाइलों,मामलों,रिकॉर्ड को नष्ट करने से पहले सभी संबंधित शाखाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि नष्ट की जा रही फाइलों,मामलों,रिकॉर्ड के विषय-वस्तु के संबंध में कोई अदालती मामला लंबित न हो।
यदि किसी शाखा या शाखा के रिकॉर्ड किसी अन्य शाखा या गोपनीय शाखा से संबंधित रिकॉर्ड से सह-संबंधित हैं, तो अनुभाग में अदालती मामला प्राप्त होते ही अदालती मामले के लंबित होने की सूचना उन्हें भेजी जाए।
इसमें कहा गया है कि संबंधित शाखाओं द्वारा रिकॉर्ड को नष्ट करना और रखना संबंधित रजिस्ट्रार से अनुमोदन के बाद किया जाए।
दिशा-निर्देशों में कहा गया है, ‘रिकॉर्ड को नष्ट करने का काम गर्मी की छुट्टियों, अदालतों के आंशिक कार्य दिवसों में किया जाता है। यदि दस्तावेजों रिकॉर्ड की स्कैन की गई कॉपी को संरक्षित किया जाना है, तो संबंधित रजिस्ट्रार द्वारा रिकॉर्ड को नष्ट करने के समय निर्णय लिया जा सकता है। ‘वित्तीय और बजट से संबंधित दस्तावेजों और फाइलों को 1 अप्रैल से 31 मार्च तक प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अनुसार रखा जाना चाहिए। अन्य सभी रिकॉर्ड, रजिस्टर प्रत्येक कैलेंडर वर्ष, यानी 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक अलग से बनाए रखे जा सकते हैं।