Delhi , 18 Jun 2025,
दिल्ली : नाबालिग लड़की द्वारा बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत जबरन की गई शादी को रद्द करने के संबंध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की बेंच हुई। बैंच ने पुलिस को नाबालिग लड़की की सुरक्षा निश्चित करने के आदेश दिए। इसके साथ ही दिल्ली और बिहार राज्य से इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट तलब की है।
सुप्रीम की बेंच ने बिहार और दिल्ली सरकार को नोटिस भी जारी किए। जिसमें बिहार के डीजीपी और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को याचिकाकर्ता नाबालिग लड़की और उसकी सहेली को पूरी सुरक्षा मुहैया कराने और यह सुनिश्चित करने को कहा कि उन्हें कोई नुकसान न पहुंचे। बेंच ने पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है।
नाबालिग लड़की की ओर से उसकी सहेली द्वारा दायर याचिका में कहा है कि उसके परिवार ने 9 दिसंबर, 2024 को उसकी शादी करीब 33 साल के एक ठेकेदार से कर दी थी, जिससे उन्होंने कर्ज लिया था। याचिका में बताया गया है कि, उसने 10वीं की बोर्ड परीक्षा दी है। आगे भी पढ़ाई जारी रखना चाहती है। लेकिन उसके ससुराल वाले इसके पक्ष में नहीं हैं। याचिकाकर्ता ने अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की एवं दबाव में हुई शादी को बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत रद्द करने की मांग की है।
याचिका में उल्लेखित किया गया कि, वह अपनी मर्जी से वर्तमान में अपने मित्र के साथ फरार है। जबकि, उसके परिवार ने अब उसकी सहेली के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई है। जिसमें मेरी शादी की बात छिपाई है। याचिका में कहा गया है कि उसका पति व्यक्तिगत रूप से इस मामले को आगे बढ़ा रहा है। याचिका में आशंका जताई गई है कि, वे बिहार वापस लौटते हैं तो उन्हें पुलिस गिरफ्तार कर लेगी, या उन्हें मार दिया जाएगा। याचिका के अनुसार, उसके पति, जो एक सिविल ठेकेदार है, ने दावा किया कि लड़की के माता-पिता उनके कर्जदार हैं और उसे आगे की पढ़ाई करने के बजाय विवाह को जारी रखना होगा।