Delhi 17 September 2025,
दिल्ली-एनसीआर और इसकी सीमा से जुड़ने वाले राज्यों में बढ़ते वायु प्रदूषण (एयर क्वालिटी इंडेक्स) पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। किसानों द्वारा धान की कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने को लेकर कड़ा रुख अपनाया है।दिल्ली-एनसीआर में हर साल सर्दियों की शुरुआत होते ही हवा जहरीली हो जाती है। पराली जलाना और पटाखे फोड़ना इसके बड़े कारण माने जाते हैं।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने सुनवाई के दौरान कहा कि , किसानों का योगदान देश को अन्न उपलब्ध कराने में अहम है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पर्यावरण की सुरक्षा को नजर अंदाज कर दिया जाए।
इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिका कर्ता के अधिवक्ता अमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने किसानों द्वारा पराली जलाने के मुद्दे पर दलीलें पेश कीं। दलीलें सुननें के पश्चात मुख्य न्यायाधीश ने पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा से कहा , अगर कुछ लोग जेल जाएंगे तो सही संदेश जाएगा? क्यों न किसानों पर दंडात्मक प्रावधान लागू करने पर विचार किया जाए? अगर सच में पर्यावरण की रक्षा करनी है, तो इससे पीछे क्यों हट रहे हैं?”
मुख्य न्यायाधीश ने पराली के निस्तारण के अन्य विकल्पों पर विचार करने का सुझाव देते हुए कहा कि, पराली का उपयोग बायोफ्यूल बनाने में किया जा सकता है। हम इसे हर पांच साल पर चर्चा का विषय नहीं बना सकते। किसान खास हैं, हम उनके कारण खाते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम पर्यावरण की रक्षा न करें।
* सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले पटाखों पर पूरे साल लगाए जाने वाले बैन को लेकर भी सवाल उठाए थे। अदालत ने कहा था कि सिर्फ दिल्ली-एनसीआर में ही क्यों? अगर एनसीआर के नागरिक स्वच्छ हवा के हकदार हैं तो बाकी शहरों के लोग क्यों नहीं? क्या सिर्फ इसलिए कि यहां सुप्रीम कोर्ट है और यह राजधानी क्षेत्र है, बाकी देश के लोगों को प्रदूषण सहना पड़ेगा?
* सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने और पटाखों से इतर प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों पर भी कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को तीन महीने में सभी खाली पद भरने का आदेश दिया। इसके साथ ही, यूपी, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब सरकारों को भी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में लंबित रिक्तियां भरने का निर्देश दिया गया।