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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के 142 के तहत न्यायालय को मिले विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ चौबीसों घंटे परमाणु मिसाइल बन गए हैं पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा , राज्यपाल और राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना होता है। - Separato Spot Witness Times
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के 142 के तहत न्यायालय को मिले विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ चौबीसों घंटे परमाणु मिसाइल बन गए हैं पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा , राज्यपाल और राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना होता है।

दिल्ली, तमिलनाडु सरकार के 10 महत्वपूर्ण विधेयकों को असीमित अवधि तक रोकने को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध करार दिए जाने पर भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गंभीर टिप्पणी कर कहा था, संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय को मिले विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ चौबीसों घंटे परमाणु मिसाइल बन गए हैं। जिसके जवाब में राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि, राज्यपाल और राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना होता है। उपराष्ट्रपति को किसी पार्टी के प्रवक्ता की तरह बात नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले को नोटबंदी न कहें। मिसाइल नोटबंदी थी, जो सरकार ने लोगों पर चलाई।

तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा तमिलनाडु विधानमंडल में पारित विधेयकों को असीमित अवधि तक रोके जाने के संबंध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए साफ किया कि राज्यपाल को विधानमंडल के फैसलों को अनदेखा करने का हक नहीं है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और राष्ट्रपति को लेकर निर्देश दिया कि वह किसी भी बिल को लंबे वक्त तक रोक कर नहीं रख सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सख्त टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट को ‘सुपर संसद’ करार दिया। उन्होंने कहा कि कुछ जज ‘कानून बना रहे हैं’ और ‘सुपर संसद’ की तरह काम कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने खास तौर पर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का जिक्र किया, जिसमें राष्ट्रपति को निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा, “हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें इस मसले पर बेहद संजीदा होना होगा। धनखड़ ने आगे कहा कि संविधान सुप्रीम कोर्ट को कानून की व्याख्या करने का हक देता है, लेकिन इसके लिए पांच जजों की पीठ की जरूरत होती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला सिर्फ समीक्षा याचिका दाखिल करने या न करने का नहीं है, बल्कि लोकतंत्र के लिए यह एक नाजुक वक्त है।

उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने स्पष्ट किया कि, लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार सबसे महत्वपूर्ण होती है और सभी संस्थाओं को अपनी सीमाओं में रहकर काम करना चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि कोई भी संस्था संविधान से ऊपर नहीं है।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि, उपराष्ट्रपति को यह समझना चाहिए कि राज्यपाल और राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना होता है। उपराष्ट्रपति को किसी पार्टी के प्रवक्ता की तरह बात नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले को नोटबंदी न कहें, मिसाइल नोटबंदी थी, जो सरकार ने लोगों पर चलाई.

कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति को यह मालूम होना चाहिए कि राज्यपाल और राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह-मशविरा के मुताबिक काम करते हैं। धनखड़ जी (उपराष्ट्रपति) को पता होना चाहिए, वह पूछते हैं कि राष्ट्रपति की शक्तियों को कैसे कम किया जा सकता है, लेकिन शक्तियों को कौन कम कर रहा है? मैं कहता हूं कि एक मंत्री को राज्यपाल के पास जाना चाहिए और दो साल तक वहां रहना चाहिए, ताकि वे सार्वजनिक महत्व के मुद्दे उठा सकें, क्या राज्यपाल उन्हें अनदेखा कर पाएंगे?”

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राष्ट्रपति एक टिट्यूलर हेड हैं और गवर्नर का भी पद ऐसा है. अनुच्छेद 142 की शक्ति संविधान ने सुप्रीम कोर्ट को दी है. उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति का बयान सुनकर उन्हें दुख भी हुआ और हैरानी भी, उनको किसी पार्टी के स्पोक्सपर्सन की तरह बात नहीं करनी चाहिए बल्कि निष्पक्ष बात करें. कपिल सिब्बल का यह भी कहना है कि जब सरकार के लोगों को न्यायपालिका की बात पसंद नहीं आती तो वह हमला करते हैं, जब अच्छी लगे तो विपक्ष से कहते हैं कि कोर्ट का फैसला हे।

कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति के बयान पर ये भी कहा कि अगर उनको किसी फैसले पर दिक्कत है तो वह रिव्यू डाल सकते हैं, जो तरीका है या अनुच्छेद 143 के तहत भी सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांग सकते हैं, यह भी एक तरीका है. जगदीप धनखड़ ने कहा था कि अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है, जिस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि मिसाइल नोटबंदी थी, जो सरकार ने लोगों पर चलाई थी. कोर्ट के फैसले को मिसाइल मत कहिए।

अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को अधिकार देता है कि वह पूर्ण न्याय करने के लिए कोई भी आदेश, निर्देश या फैसला दे सकता है, चाहे वह किसी भी मामले में हो. कपिल सिब्बल ने कहा कि जज तो जवाब नहीं दे सकते, आप ऐसे बयान देकर उन्हें सबक सिखाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वीरास्वामी फैसला है कि मुख्य न्यायाधीश तय करेंगे, क्या आप इसे नहीं मानते हैं?

 

 

 

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