December 22, 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “कर्तव्य पथ” का भव्य उद्घाटन किया।

देहरादून 09 सितंबर 2022,

दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “कर्तव्य पथ” का भव्य उद्घाटन किया इस अवसर पर उन्होंने कर्तव्य पथ पर बनी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण कर किया।

प्रतिमा 28 फीट ऊंची है। इस प्रतिमा को ग्रेनाइट से तैयार किया गया है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को इंडिया गेट पर उसी स्थान पर स्थापित किया गया है जहां अमर जवान ज्योति प्रकाशमान होती थी।

स्मरणीय है कि कर्तव्य पथ को ब्रिटिश काल में किंग्सवे ने जॉर्ज पंचम के सम्मान में बनवाया था। देश की आजादी के बाद किंग्सवे का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया था। मोदी सरकार ने राजपथ का नाम एक बार फिर से बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, आजादी के अमृत महोत्सव में देश को आज एक नई प्रेरणा मिली है, नई ऊर्जा मिली है। आज हम गुजरे हुए कल को छोड़कर आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं। आज जो हर तरफ ये नई आभा दिख रही है, वो नए भारत के आत्मविश्वास की आभा है।

गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानि राजपथ, आज से इतिहास की बात हो गया है, हमेशा के लिए मिट गया है। आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है। मैं सभी देशवासियों को आजादी के इस अमृतकाल में, गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

आज इंडिया गेट के समीप हमारे राष्ट्रनायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की विशाल मूर्ति भी स्थापित हुई है। गुलामी के समय यहां ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी। आज देश ने उसी स्थान पर नेताजी की मूर्ति की स्थापना करके आधुनिक, सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है।

प्रधानमंत्री ने कहा, अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता! लेकिन दुर्भाग्य से, आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया। उनके विचारों को, उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया.

प्रधानमंत्री ने कहा, पिछले आठ वर्षों में हमने एक के बाद एक ऐसे कितने ही निर्णय लिए हैं, जिन पर नेता जी के आदर्शों और सपनों की छाप है. नेताजी सुभाष, अखंड भारत के पहले प्रधान थे जिन्होंने 1947 से भी पहले अंडमान को आजाद कराकर तिरंगा फहराया था।

प्रधानमंत्री ने कहा, आज भारत के आदर्श अपने हैं, आयाम अपने हैं. आज भारत के संकल्प अपने हैं, लक्ष्य अपने हैं। आज हमारे पथ अपने हैं, प्रतीक अपने हैं. आज अगर राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर कर्तव्यपथ बना है, आज अगर जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है, तो ये गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है। ये न शुरुआत है, न अंत है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे. राजपथ की भावना भी गुलामी का प्रतीक थी, उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी. आज इसका आर्किटैक्चर भी बदला है और इसकी आत्मा भी बदली है।

 

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright2017©Spot Witness Times. Designed by MTC, 9084358715. All rights reserved. | Newsphere by AF themes.