देहरादून 11 सितंबर 2022,
मध्य प्रदेश; द्वारका पीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ब्रह्मलीन हो गए हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में अंतिम सांस ली। स्वामी जी 1981 में द्वारका, शारदा एवं ज्योतिश पीठ के शंकराचार्य बने थे। स्वामी जी ने आजादी की लड़ाई में भाग लिया था और जेल भी गए थे। इनका जन्म 2 सितंबर 1924 को हुआ था। उनके शिष्य ने जानकारी दी कि, हाल ही में शंकराचार्य का 99वां जन्मदिन मनाया गया था।
स्वामी जी के शिष्य दण्डी स्वामी सदानंद ने मीडिया को बताया कि , ”स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने तपोस्थली परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर में दोपहर लगभग 3.30 बजे अंतिम सांस ली। उन्होंने कहा कि ज्योतिष एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में हुआ था। स्वामी जी ने नौ साल की उम्र में अपना घर छोड़ कर धर्म यात्राएं प्रारंभ कर दी थी और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल में रखा गया था।
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। द्वारका पीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था। स्वामी जी 1982 में गुजरात में द्वारका शारदा पीठ और बद्रीनाथ में ज्योतिर मठ के शंकराचार्य बन गए थे।