November 1, 2025

श्री केदारनाथ मंदिर और गंगोत्री मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद

उत्तराखंड , श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए पूरे विधि विधान के साथ बंद हुए। इस वर्ष 16 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किया बाबा केदारनाथ के दर्शन। वहीं आज ही गंगोत्री मंदिर के कपाट अन्नकूट पर्व पर अभिजीत मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक परंपराओं के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं।

विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट आज रविवार को भैया दूज के पावन पर्व पर प्रातः 8 बजकर 30 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो गए। मंदिर के कपाट भारतीय सेना की बैंड धुनों और वैदिक मंत्रों के साथ विधि-विधान व धार्मिक परंपराओं के अनुसार कपाट बंद किए गए। इस मौके पर 15 हजार से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे।

रविवार प्रातः पांच बजे से बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय की उपस्थिति में कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। बीकेटीसी के आचार्य, वेदपाठियों, पुजारीगणों ने भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग की समाधि पूजा की। स्वयंभू शिवलिंग को भस्म, स्थानीय पुष्पों बेल पत्र आदि से समाधि रूप दिया गया। जिसके पश्चात निर्धारित मुहूर्त पर प्रातः 8 बजकर 30 मिनट पर बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली को मंदिर से बाहर लाकर श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।कपाट बंद होने के साथ ही बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली ने अपने पहले पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान किया। हजारों श्रद्धालु बाबा की पंचमुखी डोली के साथ पैदल ही रवाना हुए।

इस अवसर पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि इस यात्रा काल में रिकार्ड  साढ़े 16 लाख से अधिक तीर्थ यात्री श्री केदारनाथ धाम पहुंचे। श उन्होंने सफल यात्रा संचालन के लिए बीकेटीसी के कार्मिकों, पुलिस-प्रशासन, यात्रा व्यवस्था से जुड़े विभिन्न विभागों, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी आदि का आभार जताया।

कपाट बंद होने के साथ ही  बाबा केदार की पंचमुखी डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना हो गई है। आज 3 नवंबर को रामपुर और 4 नवंबर  सोमवार को श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी रात्रि प्रवास कर 5 नवंबर मंगलवार को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेंगी। शीतकाल में बाबा केदार की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में ही संपादित होगी।

Holly Kedarnath & Gangotri temple

श्री केदारनाथ मंदिर और गंगोत्री मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद

हुए।

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