Delhi , 15 September 2025,
सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने फैसले में, विवादास्पद वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के लागू करने पर पूरी तरह से रोक लगाने से इनकार कर दिया। लेकिन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कई प्रमुख प्रावधानों के कार्यान्वयन को निलंबित कर दिया, जिसमें राजस्व अधिकारियों को वक्फ घोषित की गई कथित सरकारी संपत्तियों की स्थिति को बदलने की शक्ति देने वाले और वक्फ बनाने के लिए एक नई शर्त लगाने वाले प्रावधान शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित वक्फ अधिनियम की केवल दो धाराओं पर रोक लगाई है। इन दोनों धाराओं को कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्तों के साथ लागू करने को कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने खासकर 5 साल मुस्लिम वाले प्रावधान अनुच्छेद 374 पर रोक लगा दी है। साथ ही कहा है कि बोर्ड में 3 से ज्यादा गैर-मुस्लिम नहीं होने चाहिए। बोर्ड का सीईओ भी मुस्लिम होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर को व्यक्तिगत नागरिकों के अधिकारों का निर्णय करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. यह सेपरेशन ऑफ पावर्स (शक्तियों के पृथक्करण) के सिद्धांत का उल्लंघन होगा।
इसलिए जब तक ट्रिब्यूनल का निर्णय नहीं आता, तब तक किसी तीसरे पक्ष के अधिकार किसी पक्ष के खिलाफ नहीं बनाए जा सकते। कलेक्टर को दिए गए ऐसे अधिकारों वाले प्रावधानों पर रोक रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कानून पर रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा है कि किसी भी कानून की संवैधानिकता के पक्ष में हमेशा अनुमान ही लगाया जाता है और दखल केवल रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मामलों में ही किया जाता है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट कानून पर रोक नहीं लगा सकता है.
बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने वक्फ कानून में 3 मुद्दों को उठाते हुए वैधता को चुनौती दी थी, लेकिन लगातार 3 दिन याचिका पर सुनवाई करने के बाद बेंच ने गत 22 मई को अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया था। बेंच की अध्यक्षता खुद जस्टिस बीआर गवई ने की। याचिकाकर्ताओं ने स्टेट वक्फ बोर्ड और सेंट्रल वक्फ काउंसिल की संरचना पर भी सवाल उठाए। उन्होंने मांग की थी कि वक्फ बोर्ड में केवल मुसलमानों को ही शामिल किया जाना चाहिए।