देहरादून 20 अक्टूबर 2021,
दिल्ली: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में समयावधि पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुएकहा है यूपी सरकार इस केस में अपने पैर पीछे खींच रही है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष मामले में शेष गवाहों के बयान दर्ज करने को कहा है।
भारत के मुख्य न्यायधीश की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि हमने कल रात तक इंतजार किया, लेकिन रिपोर्ट दाखिल नहीं हुआ। हालांकि, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अदालत को बताया कि रिपोर्ट दाखिल कर दिया गया है।
उच्चतम न्यायालय, जो लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें किसानों के विरोध के दौरान चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे, राज्य सरकार ने बताया कि 44 गवाहों में से चार के द्वारा दिए गए बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया गया।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में राज्य सरकार द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में देखा। वहीं, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ को राज्य ने बताया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष गवाहों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है। अब शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 26 अक्टूबर को तय की है।
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में पुलिस ने अब तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई तब कर रही है जब दो वकीलों ने सीजेआई को पत्र लिखकर घटना की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की थी, जिसमें सीबीआई भी शामिल है।