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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की "मन की बात" की 127वीं कड़ी में प्रेरणापूर्ण प्रसंग, - Separato Spot Witness Times
राजनीतिक राष्ट्रीय समाचार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की “मन की बात” की 127वीं कड़ी में प्रेरणापूर्ण प्रसंग,

Delhi, 26 October 2025,

‘मन की बात’ की 127वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सम्बोधन का शुभारंभ करते हुए कहा, आज पूरे देश में इस समय त्योहारों का उल्लास है। हम सबने कुछ दिन पहले दीपावली मनाई है और अभी बड़ी संख्या में लोग छठ पूजा में व्यस्त हैं। घरों में ठेकुआ बनाया जा रहा है। जगह ै हैआप देश और दुनिया के किसी भी कोने में हों, यदि मौका मिले, तो, छठ उत्सव में जरूर हिस्सा लें। एक अनोखे अनुभव को खुद महसूस करें। घाट सज रहे हैं। बाजारों में रौनक है। हर तरफ श्रद्धा, अपनापन और परंपरा का संगम दिख रहा है। छठ का महापर्व संस्कृति, प्रकृति और समाज के बीच की गहरी एकता का प्रतिबिंब है। छठ के घाटों पर समाज का हर वर्ग एक साथ खड़ा होता है। ये दृश्य भारत की सामाजिक एकता का सबसे सुंदर उदाहरण है। मैं छठी मैया को नमन करता हूँ। सभी देशवासियों को, विशेषकर बिहार, झारखंड और पूर्वांचल के लोगों को छठ महापर्व की शुभकामनाएँ देता हूँ।

प्रधानमंत्री ने सभी के नाम एक पत्र लिखकर अपनी भावनाएँ साझा की थी। पत्र में देश की उन उपलब्धियों के बारे में बताया था जिससे इस बार त्योहारों की रौनक पहले से ज्यादा हो गई है। मेरी चिट्ठी के जवाब में मुझे देश के अनेक नागरिकों ने अपने संदेश भेजे हैं। वाकई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने हर भारतीय को गर्व से भर दिया है। इस बार उन इलाकों में भी खुशियों के दीप जलाए गए जहाँ कभी माओवादी आतंक का अंधेरा छाया रहता था। लोग उस माओवादी आतंक का जड़ से खात्मा चाहते हैं जिसने उनके बच्चों का भविष्य संकट में डाल दिया था।

क्षश्री मोदी ने पिछले दिनों जीएसटी की दरों में कमी किए जाने का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि बचत उत्सव को लेकर भी लोगों में बहुत उत्साह है। इस बार त्योहारों में एक और सुखद बात देखने को मिली। बाजारों में स्वदेशी सामानों की खरीदारी जबरदस्त तरीके से बढ़ी है।

प्रधानमंत्री ने स्वच्छता अभियान से जुड़े तीन अलग- अलग शहरों की प्रेरणादायक गाथाएं साझा की हैं। पहली छतीसगढ़ के अम्बिकापुर में गार्बेज कैफे के संबंध में है।, जहाँ प्लास्टिक कचरा लेकर जाने पर भरपेट खाना खिलाया जाता है। अगर कोई व्यक्ति एक किलो प्लास्टिक लेकर जाए उसे दोपहर या रात का खाना मिलता है और कोई आधा किलो प्लास्टिक ले जाए तो नाश्ता मिल जाता है। ये कैफे अम्बिकापुर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन चलाता है।

दूसरा बेंगलुरु में इंजीनियर कपिल शर्मा ने किया है। कपिल ने यहां झीलों को नया जीवन देने का अभियान शुरू किया है। कपिल की टीम ने बेंगलुरु और आसपास के इलाकों में 40 कुंओं और 6 झीलों को फिर से जिंदा कर दिया है। उन्होंने अपने मिशन में कॉरपोरेट्स और स्थानीय लोगों को भी जोड़ा है। उनकी संस्था पेड़ लगाने के अभियान से भी जुड़ी है।

तीसरा गुजरात के वन विभाग ने मैंग्रोव के इस महत्व को समझते हुए खास मुहिम चलाई हुई है। 5 साल पहले वन विभाग की टीमों ने अहमदाबाद के नजदीक धोलेरा में मैंग्रोव लगाने का काम शुरू किया था, और आज, धोलेरा तट पर साढ़े तीन हजार हेक्टेयर में मैंग्रोव फैल चुके हैं। इनका असर आज पूरे क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। वहाँ के इकोसिस्टम में डॉल्फिन्स की संख्या बढ़ गई है। केकड़े और दूसरे जलीय जीव भी पहले से ज्यादा हो गए हैं।

प्रधानमंत्री ने बताया कि बीएसएफ और सीआरपीएफ ने अपने दस्तों में भारतीय नस्ल के डाॅग्स की संख्या बढ़ाई है। डाॅग्स की ट्रेनिंग के लिए बीएसएफ का नेशनल ट्रेनिंग सेंटर ग्वालियर के टेकनपुर में है। यहाँ उत्तर प्रदेश के रामपुर हाउंड, कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुधोल हाउंड इस पर विशेष रूप से फोकस किया जा रहा है। इस सेंटर पर ट्रेनर्स टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की मदद से श्वानों को बेहतर तरीके से ट्रेन् कर रहे हैं।

सरदार पटटेल जी की 150वीं जयंती का दिन पूरे देश के लिए एक बहुत विशेष अवसर है। सरदार पटेल आधुनिक काल में राष्ट्र की सबसे महान विभूतियों में से एक रहे हैं।देश की एकता और अखंडता के लिए उन्होंने अद्वितीय प्रयास किए । मेरा आप सबसे आग्रह है, 31 अक्टूबर को सरदार साहब की जयंती देश-भर में होने वाली रन फॉर यूनिटी में आप भी जरूर शामिल हों – और अकेले नहीं सब को साथ लेकर के शामिल हों ।

प्रधानमंत्री ने महान विभूति कोमरम भीम का भी संस्मरण किया। कोमरम भीम की 22 अक्टूबर को उनकी जन्म-जयंती मनाई है। कोमरम भीम की आयु बहुत लंबी नहीं रही, वो महज 40 वर्ष ही जीवित रहे लेकिन अपने जीवन-काल में उन्होंने अनगिनत लोगों, विशेषकर आदिवासी समाज के हृदय में अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने निज़ाम के खिलाफ संघर्ष कर रहे लोगों में नई ताकत भरी। वे अपने रणनीतिक कौशल के लिए भी जाने जाते थे। निज़ाम की सत्ता के लिए वे बहुत बड़ी चुनौती बन गए थे। 1940 में निज़ाम के लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी। श्री मोदी ने युवाओं से आग्रह किया कि, वे कोमरम भीम से प्रेरणा लें।

 

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