देहरादून 09 जनवरी 2022,
दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पारित 2019 के फैसले के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि ,केवल सामान्य इरादे से आगे की कार्रवाई के बिना आईपीसी की धारा 34 के तहत अपराध नहीं हो सकता है। प्रावधान के अनुसार किसी पर मुकदमा चलाने से पहले सबूतों का आकलन और विश्लेषण करना होगा।
आईपीसी की धारा 34 के अनुसार जब एक आपराधिक कृत्य कई लोगों द्वारा सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है तो प्रत्येक व्यक्ति उस कार्य के लिए उत्तरदायी होगा जैसे कि यह उनके द्वारा किया गया था।
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि ऐसे उदाहरण हो सकते हैं जब कोई व्यक्ति अपराध करने के सामान्य इरादे को बनाने में भागीदार होने के बावजूद बाद में इससे पीछे हट सकता है।
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत की पुष्टि की थी जिसने चारों आरोपियों को दोषी ठहराया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।