Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the pennews domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/hy55hp3a22dd/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
एनटीपीसी-रामगुंडम में 100 मेगावाट की तैरती सौर ऊर्जा परियोजना संचालित। - Separato Spot Witness Times
Environment

एनटीपीसी-रामगुंडम में 100 मेगावाट की तैरती सौर ऊर्जा परियोजना संचालित।

देहरादून 01 जून 2022 ,

दिल्ली भारत की सबसे बड़ी तैरती सौर ऊर्जा परियोजना अब पूरी तरह से चालू हो गई है। एनटीपीसी ने रामागुंडम, तेलंगाना में 100 मेगावाट रामागुंडम तैरती सौर पीवी परियोजना में से 20 मेगावाट की अंतिम भाग क्षमता के वाणिज्यिक संचालन की घोषणा की।

रामागुंडम में 100 मेगावाट की सौर पीवी परियोजना के संचालन के साथ, दक्षिणी क्षेत्र में तैरती सौर क्षमता का कुल वाणिज्यिक संचालन बढ़कर 217 मेगावाट हो गया। श्री आनंद ने बताया कि इससे पहले, एनटीपीसी ने कायमकुलम (केरल) में 92 मेगावाट तैरती सौर ऊर्जा और सिम्हाद्री (आंध्र प्रदेश) में 25 मेगावाट तैरती सौर ऊर्जा के वाणिज्यिक संचालन की घोषणा की।

रामागुंडम में 100 मेगावाट की तैरती सौर परियोजना उन्नत तकनीक के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल विशेषताओं से संपन्न है। भेल के माध्यम से ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण) अनुबंध के रूप में 423 करोड़ रुपये की लागत से तैयार यह परियोजना जलाशय के 500 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है। यह परियोजना 40 खंडों में विभाजित हैं और इनमें से प्रत्येक की क्षमता 2.5 मेगावाट है। प्रत्येक खंड में एक तैरता प्लेटफॉर्म और 11,200 सौर मॉड्यूल की एक सरणी होती है। तैरते प्लेटफॉर्म में एक इन्वर्टर, ट्रांसफॉर्मर और एक एचटी ब्रेकर होता है। सौर मॉड्यूल एचडीपीई (उच्च घनत्व पॉलीथीन) सामग्री से निर्मित फ्लोटर्स पर रखे जाते हैं।

पर्यावरण के दृष्टिकोण से तैरती सौर ऊर्जा परियोजना लाभकारी है। इसमें न्यूनतम भूमि की आवश्यकता है जो ज्यादातर निकासी व्यवस्था से जुड़ा है। इसके अलावा, तैरते हुए सौर पैनलों की उपस्थिति के साथ, जल निकायों से वाष्पीकरण की दर कम हो जाती है और इस प्रकार जल संरक्षण में मदद मिलती है। प्रति वर्ष लगभग 32.5 लाख क्यूबिक मीटर पानी के वाष्पीकरण से बचा जा सकता है। सौर मॉड्यूल के नीचे का जल निकाय उनके परिवेश के तापमान को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे उनकी दक्षता और उत्पादन में सुधार होता है। इसी तरह, प्रति वर्ष 1,65,000 टन कोयले की खपत से बचा जा सकता है और प्रति वर्ष 2,10,000 टन के कार्बन डाय ऑक्साइड उत्सर्जन से बचा जा सकता है।

 

 

 

 

Related posts

जैव विविधता सम्मेलन 16वीं बैठक: भारत ने कहा,जैव विविधता कार्य योजना को ‘संपूर्ण सरकार’ और ‘संपूर्ण समाज’ के दृष्टिकोण से अपनाया।

Dharmpal Singh Rawat

मुख्यमंत्री ने पर्वतीय जनपदों के विभिन्न गांवों में निर्मित 55 छोटे पुलों का वर्चुअल लोकार्पण किया।

Dharmpal Singh Rawat

विश्व जैव ईंधन दिवस।

Dharmpal Singh Rawat

Leave a Comment