देहरादून 23 अप्रैल 2022,
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ” पेशावर काण्ड” के महा नायक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का जन्म 25 दिसंबर 1891 को गढ़वाल में हुआ था। 1914 को वे ब्रिटिश आर्मी में भर्ती हुए थे। 1917 में उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों की ओर से मेसोपोटामिया युद्ध व 1918 में बगदाद की लड़ाई लड़ी। छुट्टी के दौरान चंद्र सिंह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के संपर्क में आए। 1920 में चंद्र सिंह को बटालियन के साथ बजीरिस्तान भेजा गया। वापस आने पर उन्हे खैबर दर्रा भेजा गया और उन्हें मेजर हवलदार की पदवी भी मिल गई। इस दौरान पेशावर में आजादी की जंग चल रही थी। अंग्रेजों ने चंद्र सिंह को उनकी बटालियन के साथ पेशावर भेज दिया और इस आंदोलन को कुचलने के निर्देश दिए। 23 अप्रैल 1930 को आंदोलनरत जनता पर फायरिग का हुक्म दिया गया, तो चंद्र सिंह ने ‘गढ़वाली सीज फायर’ कहते हुए निहत्थों पर फायर करने के मना कर दिया। आज्ञा न मानने पर अंग्रेजों ने चंद्र सिंह व उनके साथियों पर मुकदमा चलाया। उन्हें सजा हुई व उनकी संपत्ति भी जब्त कर ली गई। अलग-अलग जेलों में रहने के बाद 26 सितंबर 1941 को वे जेल से रिहा हुए।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पेशावर काण्ड” की बरसी पर कहा कि “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में पेशावर काण्ड एक महत्वपूर्ण अध्याय था। इससे देशवासियों विशेष रूप से युवाओं में नये उत्साह का संचार हुआ। देश को आजाद कराने की भावना और बलवती हुई। यह घटना भारत की आजादी के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है।”
इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल रि. गुरमीत सिंह ट्वीट किया है ” पेशावर काण्ड की बरसी पर सैन्यभूमि उत्तराखण्ड की माटी में जन्मे मां भारती के अमर सपूत वीरचंद्र सिंह गढ़वाली जी एवं समस्त अमर सेनानियों को मेरा शत्-शत् नमन”।