दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज संसद परिसर में वर्ष 2025 के बजट सत्र की शुरुआत से पहले मीडिया को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने अपने गणतंत्र के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं, जो प्रत्येक नागरिक के लिए अत्यंत गर्व की बात है। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि यह उपलब्धि लोकतांत्रिक विश्व में भी एक विशेष स्थान रखती है, जो भारत की शक्ति और महत्व को प्रदर्शित करती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उनके तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट सत्र है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2047 तक, देश विकसित देश बनने का अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह बजट सत्र नया आत्मविश्वास और ऊर्जा भरेगा, जिससे 140 करोड़ नागरिक सामूहिक रूप से इस संकल्प को परिपूर्ण करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि तीसरे कार्यकाल में सरकार भौगोलिक, सामाजिक या आर्थिक रूप से व्यापक विकास की दिशा में मिशन मोड में आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि नवाचार, समावेशन और निवेश हमेशा से देश के आर्थिक रोडमैप का आधार रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि इस सत्र में कई ऐतिहासिक विधेयकों और प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा, जिससे देश को मजबूती मिलेगी। उन्होंने महिलाओं की गरिमा को फिर से स्थापित करने, धार्मिक और सांप्रदायिक मतभेदों से मुक्त हर महिला के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस सत्र में अहम निर्णय लिए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने तीव्र विकास प्राप्त करने के लिए सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारों को मिलकर काम करना चाहिए और जन भागीदारी से परिवर्तन होगा।
प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से इस बजट सत्र के दौरान विकसित भारत के दृष्टिकोण को सशक्त करने में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युवा सांसदों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है, क्योंकि सदन में उनकी सक्रिय भागीदारी और जागरूकता उन्हें विकसित भारत के परिणामों को देखने का मौका देगी। उन्होंने अपरोक्ष रूप से विपक्षियों पर निशाना साधते हुए कहा कि, वर्ष 2014 के बाद से यह शायद पहला संसदीय सत्र है, जिसमें सत्र से ठीक पहले विदेशी मूल से व्यवधान उत्पन्न करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से, प्रत्येक सत्र से पहले हमेशा व्यवधान उत्पन्न करने के प्रयास होते रहे हैं, और ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो इस आग को हवा देने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में यह पहला सत्र है, जिसमें किसी भी विदेशी कोने से ऐसा कोई व्यवधान नहीं हुआ है।
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प्रधानमंत्री ने सांसदों से इस बजट सत्र में विकसित भारत के दृष्टिकोण को सशक्त करने का किया आह्वान।